इलाज रोग की दशा व कई बार मरीज की उम्र पर भी निर्भर करता है। शुरुआत में कुछ लोगों में सही इलाज से यह ठीक हो जाता है। लेकिन ज्यादातर में कान के पर्दे में छेद या हड्डी का गलाव ठीक करने के लिए सर्जरी करनी पड़ती है क्योंकि समय गुजरने पर पर्दे के छेद के सिरे स्थिर हो जाते हैं, जो दवाओं से नहीं भरते। दवा केवल कुछ समय के लिए मवाद बंद करती है। हड्डी में गलाव होने पर सर्जरी जरूरी हो जाती है।
जिन लोगों का कान लंबे समय से बहता है, उनमें हड्डी का गलाव इसके पास स्थित कई महत्वपूर्ण संरचनाओ को नुकसान पहुंचा सकता है। सुनाई कम देने के अलावा दिमाग में संक्रमण का खतरा रहता है, चेहरे की नस प्रभावित होने पर चेहरा टेढ़ा हो सकता है। चक्कर आ सकते हैं, कान के पास फोड़ा बन सकता है।
समय पर उचित इलाज लें। कान में कोई द्रव्य जैसे गर्म तेल आदि न डालें। नहाते समय कान में पानी न जाने दें, इसके लिए तेल से चिकनी की हुई रुई लगाई जा सकती है। जुकाम व एलर्जी को नियंत्रण में रखें और इन्हें बढ़ने न दें।