पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली में दिवाली के तीन बाद हवा की गति में कमी हाेने के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) तेजी से बिगड़ गया। विशेषज्ञाें के अनुसार दिल्ली में दीवाली के बाद का प्रदूषण स्मॉग लाेगाें, खासकर बच्चों में बहुत सारी सेहत संबंधी समस्याएं लाता है। इस समय अस्पतालाें में आसानी से श्वसन और आंखों की समस्याओं वाले मरीजाें की संख्या में वृद्धि देखी जा सकती है।
एक रिपाेर्ट के अनुसार दिवाली के बाद प्रदूषण में हुर्इ वृद्धि के कारण अस्पतालाें के ओपीडी में आने वाले मरीजाें की संख्या में 20-22 प्रतिशत की वृद्धि देखी है, जहां मरीजों को आंखों और गले में जलन, शुष्क त्वचा, त्वचा की एलर्जी, पुरानी खांसी और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञाें की सलाह है कि रोगियों, बुजुर्गों और बच्चों को घर के अंदर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
प्र्र्रदूषण के कारण लाेग आंखों में लालिमा, सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी और लगातार सिरदर्द जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं।साथ ही फेफड़े की बीमारी या सीओपीडी के बिगड़ने व ब्रोंकाइटिस जैसे मामालाें में भी वृद्धि देखी गर्इ।
“स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019” रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के वर्तमान उच्च स्तर में बढ़ने से दक्षिण एशियाई बच्चे का जीवनकाल दो साल और औसतन छह महीने तक कम हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण विशेष रूप से हानिकारक है। एनवायरनमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स नामक जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में पाया गया है कि नवजात शिशुओं के लिए प्रसव पूर्व वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से तनाव की हृदय गति में कमी आई है। हृदय की दर में परिवर्तनशीलता, जैसा कि इस अध्ययन में देखा गया है, बाद के जीवन में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक ज्ञात जोखिम कारक है।