मनोरोगों के कई लक्षण –
एक लक्षण के आधार पर मानसिक रोग नहीं तय होता है। रोने का मन करना, मन उदास रहना, काम की अनिच्छा, एकाग्रता की कमी, दूसरों से कम आंकना आदि जैसे लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक हैं तो मनोरोग हो सकता है। एक-दो लक्षण हैं तो वह मनोरोग नहीं है। डिप्रेशन या एंजायटी हो सकते हैं। जीवनशैली सही रखें। इनका इलाज संभव है।
ऐसे काम करता है दिमाग –
मस्तिष्क में याद रखने की प्रक्रिया तीन स्टेप्स में होती है। सूचना को रजिस्टर(दर्ज), संग्रहित (स्टोर) और याद (रिकॉल) करना। इनमें कहीं भी गड़बड़ी होने पर याद्दाश्त की समस्या होती है। विचारों में खोए रहने से याद नहीं रहता है। जैसे कोई बच्चा शरीर से कक्षा में और दिमाग से कक्षा से बाहर है तो टीचर की बातें याद नहीं रहेंगी। क्योंकि बातें न तो रजिस्टर और न ही स्टोर हुई हैं।
जरूरी बातें याद रखता है दिमाग –
मस्तिष्क इकोनॉमिक्स की तरह हमारे शरीर के लिए नफा-नुकसान के अनुरूप काम करता है। वह उन्हीं बातों को याद रखता है जो आपके लिए जरूरी है जैसे आपको अपनी शादी की हरेक बात याद रखनी है, लेकिन दूसरों की शादी की नहीं। याद्दाश्त बढ़ाने के लिए बातों को याद करते रहें। नियमित उसका ध्यान करें। एंजायटी, डिप्रेशन, थकान, नशे, नींद व एकाग्रता की कमी से भी याद्दाश्त की मस्या होती है।
जब मन हो तो ही पढ़ें –
पढ़ना एक एक्टिव प्रक्रिया है। मन लगाकर पढ़ें। अगर मन नहीं कर रहा है तो उस समय आराम और एक्सरसाइज करें। पढ़ाई के समय केवल पढ़ाई ही करें। पढ़ने के समय भविष्य की प्लानिंग न करें। दूसरी गतिविधियों पर ध्यान न दें। ब्रेन की क्षमता 50-55 मिनट तक लगातार काम करने की होती है। एक सिटिंग में इतना ही पढ़ें। फिर 15 मिनट का ब्र्रेक लें। इसमें कुछ खाएं, व्यायाम या चहलकदमी करें। केवल कोर्स पूरा करने के चक्कर में न रहें। आधा समय रिविजन पर दें। रटने की जगह समझने को प्राथमिकता दें। इससे भी याद्दाश्त बढ़ती है। नोट्स बनाकर पढ़ें। इससे मुख्य-मुख्य बिंदुओं को दोहरा सकते हैं। पढ़ाई के लिए डिस्कशन करें। इससे मेमोरी तेज होती है।
बच्चे सुस्त हों तो ध्यान दें –
बच्चा अगर ज्यादा सुस्त है। पढ़ाई में मन नहीं लगता है, चिड़चिड़ा है। उसका परफॉर्मेंस घट रहा है तो डिप्रेशन हो सकता है। पैरेंट्स और टीचर उसे डांटने और दूसरों से तुलना करने से बचें। कभी-कभी एकाग्रता की कमी से भी बच्चे अधिक चंचल होते हैं, ऐसे में डॉक्टर को दिखाना चाहिए।