41 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में नियमित माहवारी (पीरियड्स) स्थायी तौर पर रुक जाती है, इसे मेनोपॉज कहते हैं। ऐसा एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के बंद होने के कारण होता है। रेडिएशन, दवाएं आदि इसके कारण हो सकते हैं।
कैंसर : प्री-मेनोपॉज से सर्वाइकल (गर्भाशय के मुंह) कैंसर भी हो सकता है। महिलाओं में प्री-मेनोपॉज के दौरान बीमारियों से बचाने वाले एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रान हार्मोन बनना बंद हो जाते हैं। कमजोर हड्डियां व हृदय रोग : ये हार्मोन हड्डियों में कैल्शियम रोकने का काम व हृदय रोगों से बचाते हैं। इनके न बनने से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ता है। मेनोपॉज के शुरूआती 7 साल में अधिक नुकसान होता है।
स्मोकिंग
धुएं में मौजूद हानिकारक रसायनों के कारण अंडाशय में मौजूद हार्मोन (प्रोजेस्ट्रॉन) प्रभावित होता है व पीरियड्स रुक जाते हैं। साथ ही फेफड़ों से जुड़ी दिक्कतों का खतरा बढ़ता है। रेडिएशन
कैंसर से पीडि़त महिलाओं में भी प्री-मेनोपॉज की समस्या होने की आशंका रहती है। कैंसर में ली जाने वाली कीमो या रेडिएशन थैरेपी के दुष्प्रभाव के कारण गर्भ के ऊत्तक नष्ट होने से हार्मोन बनने कम हो जाते हैं।
फैमिली हिस्ट्री भी कई बार प्री-मेनोपॉज के लिए जिम्मेदार हो सकती है। जीन में गड़बड़ी के कारण टर्नर सिंड्रोम नामक बीमारी हो जाती है। जो गर्भाशय की कार्यप्रणाली प्रभावित करती है और जरूरी हार्मोंस नहीं बन पाते।
जोड़ों में दर्द के अलावा कुछ खास रोगों में ली जाने वाली दवाओं से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन बनने कम या लगभग बंद हो जाते हैं। इसके अलावा कई बार थायरॉयड की समस्या भी प्री-मेनोपॉज के लिए जिम्मेदार होती है।