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कहा जाता शाही बीमारी
ऐसा माना जाता है कि ब्रिटेन के राजपरिवार में यह बीमारी रही है, ब्रिटेन की पूर्व महारानी विक्टोरिया इस रोग की वाहक रहीं। दरअसल, ब्लड में कुछ क्लॉटिंग कारक होते हैं जो रक्तस्राव को रोकने में मदद करते हैं। यह रोग इन्हीं क्लॉटिंग कारकों में कमी के कारण होता है।
यह ब्लड में फैक्टर आठ, नौ व ग्यारह की कमी के चलते होता है। फैक्टर आठ की कमी से हीमोफीलिया ए, फैक्टर नौ की कमी से बी और फैक्टर 11 की कमी होने पर हीमोफीलिया सी रोग होता है। फैक्टर आठ की कमी वाले मामले अधिक हैं।
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परिजन क्या करें यदि चोट लगने पर ब्लड नहीं रुक रहा या जोड़ों में सूजन आ गई है तो डॉक्टरी परामर्श लें।
इस रोग से ग्रसित को शिशु रोग विशेषज्ञ, फिजीशियन या ऑर्थोपेडिक्स के डॉक्टरों को दिखाएं।
इनमें फिजियोथैरेपी की भी जरूरत पड़ती है।
फिजीशियन, डॉ. आलोक गुप्ता के अनुसार, बच्चे को ऐसे खेलों से दूर रखें, जिनमें चोट लगने की आशंका हो। ऐसा न करें कि बच्चे का बाहर निकलना बंद करा दें। अपनी निगरानी में बच्चों को खेलने दें। स्कूल टीचर्स को मेडिकल कंडीशन के बारे में अवश्य बताएं।
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पुरुष में होता है यह रोग
इस रोग के लिए एक्स क्रोमोसोम जिम्मेदार है। महिलाओं में दोनों एक्स क्रोमोसोम होते हैं तो उसमें यदि एक एक्स क्रोमोसोम में हीमोफीलिया का जीन है तो वह केवल कैरियर का काम करेगा। जबकि पुरुषों में एक एक्स क्रोमोसोम होता है। इस पर यदि हीमोफीलिया का जीन है तो वह रोगग्रस्त करेगा। इसके लक्षणों को पहचानें। यदि चोट लगने पर जोड़ों (कलाई, घुटने, कोहनी) पर नीलापन आ जाता है तो आंतरिक रक्तस्त्राव हो सकता है।