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40 डिग्री से ज्यादा तापमान हीट स्ट्रोक का खतरा

सेल्स, मार्केटिंग आदि जॉब काम करने वालों के लिए गर्मी से बचना संभव नहीं होता लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर हीट स्ट्रोक से बचा जा सकता है।

जयपुरMay 25, 2019 / 12:05 pm

Jitendra Rangey

 heat stroke

heat stroke

शरीर का तापमान सामान्यत: गर्मी में 37 डिग्री सेल्सियस होता है। बाहरी तापमान 40 डिग्री तक होने पर शरीर में मौजूद थर्मोरेगुलेट्री मैकेनिज्म बॉडी से पसीना निकालकर इसे नियंत्रित कर लेता है जिससे हृदय व दिमाग जैसे मुख्य अंग प्रभावित नहीं होते। बाहरी तापमान 40 डिग्री से ज्यादा होने पर हीट स्ट्रोक (लू) का खतरा बढ़ता है। ऐसे में चिकित्सक धूप से बचने की सलाह देते हैं। जानते हैं कि कैसे हीट स्ट्रोक के प्रभाव से बचा जा सकता है।
45 डिग्री से अधिक तापमान शरीर के थर्मोरेगुलेट्री मैकेनिज्म को फेल कर देता है। ऐसे में व्यक्ति हाईग्रेड फीवर से पीडि़त हो जाता है। इलाज न मिलने से मरीज का रक्त गर्म होने लगता है। रक्त में मौजूद प्रोटीन थक्का बनकर दिमाग में रक्तसंचार को प्रभावित कर देता है। जिससे अन्य अंगों तक रक्तप्रवाह रुकने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
लक्षण
हाईग्रेड फीवर,
सिरदर्द
चक्कर आना,
बेहोशी छाना
उल्टी-दस्त से
डिहाइड्रेशन
पोटैशियम व
सोडियम की कमी
ब्लड प्रेशर लो और
हाई पल्स रेट
ये लक्षण दिखें तो हों अलर्ट
हीट स्ट्रोक चार तरह से व्यक्ति पर असर करता है। इसके प्रारंभिक लक्षणों को पहचानकर गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
हीट एडिमा
35-40 डिग्री सेल्सियस पर एक-दो घंटे तक धूप में रहने के बाद हाथ, पैर, कुहनी व घुटनों में सूजन आ जाती है। इसे हीट एडिमा कहते हैं। इसमें धूप के कारण त्वचा में ब्लड पहुंचाने वाली नसें फैल जाती हैं। धूप से बचाव ही इलाज है।
हीट सिंकॉप
जो लोग धूप में शारीरिक गतिविधि ज्यादा करते हैं उन्हें यह समस्या होती है। मरीज को बीपी लो होने, चक्कर आने व बेहोशी छाने लगती है। ऐसा अधिक तापमान में खून की नसें फैलने से होता है। पानी पिलाकर उसे खुले-ठंडे स्थान पर लिटा दें।
प्रिक्ली हीट
शरीर से अधिक पसीना निकलने की वजह से त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं। ऐसे में शरीर पर दाने या लाल चक्कते पडऩे के साथ त्वचा में खुजली होती है। परेशानी में ठंडे पानी से नहाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें।
हीट एक्जॉशन
यह हीट स्ट्रोक के पहले की अवस्था है। खूब पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और मरीज को सिरदर्द, पल्स रेट हाई व बीपी लो की दिक्कत होने लगती है। ऐसे में तुरंत पानी पीएं व ठंडे स्थान में जाएं वर्ना हीट स्ट्रोक हो सकता है।
कैसे करें बचाव
थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें। रोजाना कम से कम 3-4 लीटर पानी पीएं।
खाली पेट बाहर न जाएं और ज्यादा देर तक धूप में न रहें।
धूप में छतरी का इस्तेमाल करें।
पूरी बाजू के सूती कपड़े पहनें।
तेज धूप दोपहर 12 से तीन बजे के बीच लगती है। इस दौरान बाहर निकलने से बचें।
सुबह-शाम ठंडे पानी से नहाएं।
जब भी थकान लगे। ठंडे स्थान पर आराम करें और खूब पानी पीएं।
रात में सोते समय कमरों में बाल्टी में पानी भरकर रख दें। कमरे का तापमान नियंत्रित रहेगा।
मौसमी फल व सब्जियां खाएं।
नॉनवेज व गर्म मसालों से परहेज करें। ये शरीर का तापमान बढ़ाते हैं।
बील, गुलकंद का जूस और नींबू पानी पीएं।
5-10 मिनट की धूप से नहीं नुकसान
45 डिग्री तक की धूप में 5-10 मिनट रहने से नुकसान नहीं होता। लेकिन 37-38 डिग्री से निकलकर अचानक 45 डिग्री वाले तापमान वाले क्षेत्र में जाने से स्ट्रोक हो सकता है।
डिहाइड्रेशन होने पर
डिहाइड्रेशन होने पर व्यक्ति को थोड़े-थोड़े अंतराल में नींबू पानी, ओआरएस, ग्लूकोज, लस्सी, छाछ या आमपना पिलाते रहें। उल्टी-दस्त के कारण शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है। ये घोल सोडियम और पोटैशियम की कमी को पूरा करते हैं व डिहाइड्रेशन के कारण किडनी और ब्रेन को होने वाले नुकसान से बचाते हैं।
डॉ. अजीत सिंह, सीनियर फिजिशियन

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