दिल के रोगों के कारण –
अनियमित जीवनशैली से मधुमेह, मोटापा व हाइपरटेंशन का खतरा बढ़ता है। इससे दिल की बीमारियां और कम उम्र में मौत की आशंका बढ़ जाती है। बड़े शहरों में तनाव के कारण ऐसे मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है।
मुख्य कारणों में से एक शहरों में लोगों का अत्यधिक तनाव में रहना और नींद की कमी है।
कम व्यायाम, असमय और अनुचित खानपान।
खाने में अत्यधिक ट्रांसफैट, नमक और चीनी लेना तथा कम पानी पीना।
धूम्रपान व शराब का अधिक लेना।
ऑक्सीजन की कमी –
मधुमेह व दिल के रोगों को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि दिल का दौरा तब पड़ता है जब चर्बी के कण (प्लॉक) रक्त धमनियों में जमा होकर उसमें रुकावट पैदा कर देते हैं और दिल को रक्त व ऑक्सीजन मिलने बंद हो जाते हैं। इंसुलिन न बनने की वजह से रक्त में मौजूद अत्यधिक शुगर, मधुमेह एवं कोरोनरी एथेरोसिलेरोसिस की शुरुआत का कारण बनती है। धीरे-धीरे प्लॉक रक्तधमनियों को सिकोड़ देता है। इससे दिल की मांसपेशियों तक ऑक्सीजनयुक्त रक्त नहीं पहुंच पाता है और यह आगे चलकर दिल के दौरे का कारण बन सकता है।
ध्यान दीजिए इन बातों पर –
जितना ज्यादा व्यक्ति का ब्लड शुगर होगा उतना ही अधिक उसे हृदय रोगों का खतरा होगा। मधुमेह से पीड़ित लोगों को ब्लड शुगर और दिल के दौरे से बचने के लिए डॉक्टर के बताए अनुसार आवश्यक जांचें करवानी चाहिए।
30-35 वर्ष की आयु के बाद डॉक्टर या विशेषज्ञ के निर्देशानुसार कम से कम साल में एक बार रक्त जांच करवाएं। इससे शुरुआती स्तर पर ही रोगों का पता चलने से उपचार शीघ्र होता है।
सही डाइट, व्यायाम, 8-9 घंटे की नींद व दवाओं के नियमित प्रयोग से डायबिटिक, हृदय स्वस्थ रख सकते हैं।
मधुमेह के मरीजों को सांस फूलने की दिक्कत हो तो हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह लें।