विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करता है तभी शरीर में कैल्शियम सही काम कर पाता है। इसलिए विटामिन डी के हाई लेवल से शरीर में कैल्शियम का लेवल भी बढ़ जाता है। शरीर में कैल्शियम की सामान्य सीमा 8.5 से 10.8 mg/dL के बीच होती है। कैल्शियम के हाई होने से मिचली आना, कब्ज और पेट दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। गंभीर लक्षणों में चक्कर आना, मतिभ्रम, अत्यधिक पेशाब, भूख न लगना, किडनी की पथरी, हाई ब्लड प्रेशर, डिहाइड्रेशन और हृदय संबंधी दिक्कत होने लगती हैं।
हाइपर कैल्सीमिया विटामिन डी के हाई लेवल का एक गंभीर कारण होता है और इसमें एक परिवर्तित मानसिक स्थिति को जन्म दे सकता है जो भ्रम, मनोविकृति और अवसाद का कारण बन सकता है।
विटामिन डी विषाक्तता से किडनी पर बहुत बुरा असर होता है। विटामिन डी के हाई लेवल के कारण कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है। इससे बहुत अधिक यूरिन आने और किडनी के कैल्सीफिकेशन के कारण पानी की कमी हो जाती है। इससे किडनी की रक्त वाहिकाओं का सिकुड़ने लगती हैं और किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
मिचली, उल्टी, कब्ज, दस्त और भूख न लगना जैसे लक्षण हाइपरलकसीमिया के शुरुआती लक्षण हैं। हालांकि हर लक्षण हर व्यक्ति पर नहीं दिखता। सबपर ये अलग-अलग नजर आता है। जठरांत्र संबंधी लक्षणों का होना एक संभावित विटामिन डी विषाक्तता का संकेत है।