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Good News : दवा, डाइट, एक्सरसाइज नहीं, गरारे से कंट्रोल होगा शुगर लेवल? जानिए कैसे!

 
Good News for Diabetics Gargling Can Reduce Blood Sugar Levels:
टोक्यो: टाइप-2 मधुमेह (Type-2 diabete) से ग्रस्त लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। एक अध्ययन में पाया गया है कि एंटीसेप्टिक माउथवॉश से गरारे करने से पीरियोडोंटाइटिस से जुड़े बैक्टीरिया की संख्या को कम करने में मदद मिल सकती है। पीरियोडोंटाइटिस मसूड़ों की बीमारी है, जो मुंह में सूजन पैदा करती है और सांसों में बदबू का कारण बनती है। हाल ही में हुए शोध बताते हैं कि यह गंभीर बीमारियों जैसे अल्जाइमर और टाइप-2 मधुमेह (Type-2 diabete) से भी जुड़ा हुआ है।
 

Feb 17, 2024 / 12:07 pm

Manoj Kumar

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Good News for Diabetics Gargling Can Reduce Blood Sugar Levels

Can Gargling Help Control Diabetes : एक अध्ययन में बताया गया है कि मधुमेह (Type-2 diabete) के मरीजों के लिए एंटीसेप्टिक माउथवॉश से गरारे करना फायदेमंद हो सकता है। यह उनके मुंह में पीरियोडोंटाइटिस से जुड़े बैक्टीरिया की संख्या को कम करने में मदद कर सकता है।

अब इस बात के काफी प्रमाण मिल रहे हैं कि मसूड़ों की बीमारी (पीरियोडोंटाइटिस) जैसे मुंह में लगातार सूजन, केवल बदबू पैदा करने के अलावा गंभीर बीमारियों जैसे अल्जाइमर या टाइप 2 मधुमेह से भी जुड़ी है।
शोध में क्या मिला? What was found in the research?


ओसाका यूनिवर्सिटी, जापान के शोधकर्ताओं का कहना है कि गरारे करना एक समाधान हो सकता है। अध्ययन में पाया गया कि कुछ मरीजों में बैक्टीरिया कम होने के साथ-साथ उनके ब्लड शुगर का भी बेहतर नियंत्रण हो पाया, जो भविष्य में इसके क्लिनिकल इस्तेमाल की संभावना को बढ़ाता है। यह अध्ययन “साइंटिफिक रिपोर्ट्स” जर्नल में प्रकाशित हुआ है।


अध्ययन के मुख्य लेखक साया मातयोशी ने कहा, “तीन बेहद खतरनाक बैक्टीरिया प्रजातियां हैं जो पीरियोडोंटाइटिस या दांतों को घेरने वाले ऊतकों की बीमारी से जुड़ी हैं। हमने यह देखने का फैसला किया कि क्या हम टाइप 2 मधुमेह के मरीजों में इन तीन प्रजातियों – पोर्फाइरोमोनस गिंगिवालिस, ट्रेपोनेमा डेंटिकोला और टैनरेला फोर्सिथिया – को क्लोरहेक्सिडिन ग्लूकोनेट एंटीसेप्टिक वाला माउथवॉश इस्तेमाल करके कम कर सकते हैं।”


यह देखने के लिए कि क्या सिर्फ गरारे करना ही बैक्टीरिया को कम करने में प्रभावी है या माउथवॉश ज्यादा कारगर है, अध्ययन में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने पहले छह महीने तक सिर्फ पानी से गरारे किए और फिर अगले छह महीने तक एंटीसेप्टिक माउथवॉश से गरारे किए।
नतीजे:
अध्ययन के सह-लेखक काजुहिको नाकानो ने बताया, “हमें यह देखकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ कि पानी से गरारे करने से बैक्टीरिया की प्रजातियों या HbA1c के स्तर पर कोई असर नहीं हुआ। लेकिन जब मरीजों ने माउथवॉश से गरारे करना शुरू किया, तो बैक्टीरिया की प्रजातियों में कुल मिलाकर कमी आई, बशर्ते वे दिन में कम से कम दो बार गरारे करते थे।”


हालांकि HbA1c के स्तर में कोई कुल मिलाकर बदलाव नहीं देखा गया, लेकिन जब मरीजों ने एंटीसेप्टिक माउथवॉश से गरारे किए, तो व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं में काफी अंतर दिखाई दिया। उदाहरण के लिए, जब समूह को युवा और वृद्ध मरीजों में विभाजित किया गया, तो युवा मरीजों में बैक्टीरिया की प्रजातियों में अधिक कमी और पानी की तुलना में माउथवॉश के साथ काफी बेहतर ब्लड शुगर नियंत्रण देखा गया।

(आईएएनएस)

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