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घरेलू प्रदूषण भी है स्ट्रोक का बड़ा कारण, जाने क्यों

जब मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति रूक जाती है या कोई रक्तवाहिनी फट जाती है तो स्ट्रोक आता है,

जयपुरJan 09, 2018 / 05:13 am

शंकर शर्मा

stroke
जब मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति रूक जाती है या कोई रक्तवाहिनी फट जाती है तो स्ट्रोक आता है, इस स्थिति में मस्तिष्क में ऑक्सीजन कम हो जाती है और इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं या तो क्षतिग्रस्त हो जाती है या मर जाती है। हर वर्ष दुनिया में करीब 15 मिलियन लोग स्ट्रोक के शिकार होते हैं।
इनमे से छह मिलियन मौत के शिकार हो जाते हैं और पांच मिलियन हमेशा के लिए अपाहिज हो जाते है। स्ट्रोक अपंगता का दूसरा बडा कारण है। दुनिया में स्ट्रोक के सबसे बड़े कारण उच्च रक्तचाप, फल व सब्जियां कम खाना, उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), सोडियम की अधिक मात्रा लेना, धूम्रपान, पर्यावरण में हवा का प्रदूषण, घरेलू प्रदूषण, और उच्च ब्लड शुगर है।
ऐसे बढ़ता घरेलू वायु प्रदूषण
डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 4.3 मिलियन लोग घरेलू वायु प्रदूषण के कारण मरते है। पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में स्ट्रोक के कारण होने वाली मौतें हाइपरटेंशन के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत में 30 करोड़ लोग चूल्हे या खुली आग में खाना बनाते हैं या घर को गर्म करते है। इसके लिए वे कोयले, लकडी, चारकोल या फसलों के अवशिष्ट का प्रयोग करते हैं।
नहीं दिया जाता ध्यान
ठोस ईंधन को जलाने के कारण घरेलू वायु बहुत ज्यादा प्रदूषित होती हैं। यह प्रदूषण आसपास की हवा में फाइन पार्टिकल्स की मात्रा 100 गुना तक बढ़ा देते है और घर की महिलाएं व बच्चों पर इसका 80 प्रतिशत तक असर होता हैं।भाारत में औसत अंदरूनी वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदण्डों से बीस गुना ज्यादा है।
समय पर पहचानें लक्षण
स्ट्रोक अटैक से पहले कुछ पहचाने जा सकने वाले लक्षण आते हैं जिन्हें मिनी स्ट्रोक कहा जाता है। हालांकि यह लक्षण कुछ क्षणों तक ही रहते है, लेकिन 48-72 घंटे में बड़े स्ट्रोक अटैक की चेतावनी दे जाते हैं।
उपचार में देरी हो तो हर मिनिट में दो मिलियन न्यूरोन्स की क्षति हो सकती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि कार्बन मोनोऑक्साइड और पर्टिक्यूलेट मैटर से बन क्लॉट के कारण मस्तिष्क के खास हिस्से तक रक्त की आपूर्ति रूक जाती हैं। स्ट्रोक के बाद 26 मिलियन से ज्यादा लोग आज भी विकलांगता के साथ जी रहे है और अपने रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पा रहे हैं। भारत में स्ट्रोक यूनिट स्थापित कर पाना अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।

बचाव जरूरी
घरेलू वायु प्रदूषण का सामना कर रही महिलाओं में स्ट्रोक की आशंका 40 प्रतिशत तक ज्यादा होती है। दुनिया भर में स्ट्रोक के 90 प्रतिशत मामले ऐसे कारणों की वजह से होते है जिनसे बचा जा सकता है और इनमें अंदरूनी घरेलू वायु प्रदूषण से सबसे उपर है। इनके अलावा हाइपरटेंशन, फल और अनाज कम खाना, बाहरी वायु प्रदूषण, उच्च बीएमआई स्तर और धूम्रपान भी ऐसे कारण है, जिनसे बचा जा सकता है।

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