डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष 4.3 मिलियन लोग घरेलू वायु प्रदूषण के कारण मरते है। पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में स्ट्रोक के कारण होने वाली मौतें हाइपरटेंशन के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत में 30 करोड़ लोग चूल्हे या खुली आग में खाना बनाते हैं या घर को गर्म करते है। इसके लिए वे कोयले, लकडी, चारकोल या फसलों के अवशिष्ट का प्रयोग करते हैं।
ठोस ईंधन को जलाने के कारण घरेलू वायु बहुत ज्यादा प्रदूषित होती हैं। यह प्रदूषण आसपास की हवा में फाइन पार्टिकल्स की मात्रा 100 गुना तक बढ़ा देते है और घर की महिलाएं व बच्चों पर इसका 80 प्रतिशत तक असर होता हैं।भाारत में औसत अंदरूनी वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदण्डों से बीस गुना ज्यादा है।
स्ट्रोक अटैक से पहले कुछ पहचाने जा सकने वाले लक्षण आते हैं जिन्हें मिनी स्ट्रोक कहा जाता है। हालांकि यह लक्षण कुछ क्षणों तक ही रहते है, लेकिन 48-72 घंटे में बड़े स्ट्रोक अटैक की चेतावनी दे जाते हैं।
बचाव जरूरी
घरेलू वायु प्रदूषण का सामना कर रही महिलाओं में स्ट्रोक की आशंका 40 प्रतिशत तक ज्यादा होती है। दुनिया भर में स्ट्रोक के 90 प्रतिशत मामले ऐसे कारणों की वजह से होते है जिनसे बचा जा सकता है और इनमें अंदरूनी घरेलू वायु प्रदूषण से सबसे उपर है। इनके अलावा हाइपरटेंशन, फल और अनाज कम खाना, बाहरी वायु प्रदूषण, उच्च बीएमआई स्तर और धूम्रपान भी ऐसे कारण है, जिनसे बचा जा सकता है।