बुजुर्गों में बाथरूम स्ट्रोक का खतरा अधिक है। 60 पार लोगों में दिमागी कोशिकाएं कमजोर होती हैं। ऐसे में ब्लड प्रेशर के बढ़ते ही धमनियों में रक्तसंचार तेज होने से अचानक थक्का जम जाता है। सर्दियों में नहाते वक्त ठंडा और गरम पानी मिलाकर नहाना चाहिए ताकि दिमाग को शरीर का तापमान संतुलित करने के लिए एड्रेनलिन हार्मोन अधिक रिलीज न करना पड़े।
ब्रेन स्ट्रोक होने पर रोगी को जल्द अस्पताल पहुंचाना चाहिए वर्ना खून का थक्का दिमाग की अन्य कोशिकाओं व हिस्से तक पहुंच सकता है। ऐसे में व्यक्ति के कोमा में जाने का खतरा ७० फीसदी अधिक हो जाता है। अचानक कोई बाथरूम में बेहोश हो जाए तो उसे भी हल्के में न लें। इसके कई कारण हो सकते हैं और देरी करने पर जान भी जा सकती है।
स्ट्रोक का रोगी जब अस्पताल पहुंचता है तो सीटी स्कैन जांच कर स्ट्रोक से दिमाग को हुए नुकसान का पता लगाते हैं। इसके बाद इलाज शुरू किया जाता है। 3 घंटे में पहुंचे अस्पताल
बाथरूम स्ट्रोक होने पर रोगी को 3 घंटे में अस्पताल पहुंचाएं। जान बचाने के लिए टीपीए इंजेक्शन देते हैं। इसके लगने के 3 घंटे बाद सिर में प्रवाहित खून पतला होने के साथ खून का थक्का धीरे-धीरे खत्म हो जाता है।
ब्रेन स्ट्रोक या बाथरूम स्ट्रोक की स्थिति में रोगी को इंजेक्शन व दवा देकर खून का थक्का खत्म कर राहत दिलाते हैं। शुरुआती 24 घंटे अहम हैं। थक्का खत्म न हो तो सर्जरी करते हैं। हालांकि इससे ये तय नहीं होता कि रोगी पूरी तरह ठीक हो जाएगा।
सावधानी ( How do you prevent a stroke in the bathroom? )
– सर्दियों में नहाने के बाद कुछ देर धूप में बैठें। खुले में नहाने से शरीर को नुकसान हो सकता है। बीमार या कमजोरी है तो ठंडे पानी से न नहाएं। स्ट्रोक आने पर तुरंत रोगी को डॉक्टर के पास ले जाएं।