कई बार साइबर कॉन्ड्रिया की समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि बीमारी न होने के बाद भी व्यक्ति इंटरनेट पर अलग-अलग मेडिकल लिटरेचर पढक़र अपने शरीर में बीमारी के लक्षण महसूस करने लगता है। धीरे-धीरे यह स्थिति एक तरह के मनोविकार में बदल जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि ऑनलाइन बताए गए उपायों से लोग अपना इलाज शुरू कर देते हैं और बीमारी बढ़ जाने के बाद डॉक्टर के पास पहुंचते हैं।
न्यूयॉर्क स्टेट साइकेट्रिक इंस्टीट्यूट की रिसर्च के अनुसार 90 प्रतिशत लोग इसकी चपेट में हैं। इंटरनेट सर्च को अपने जीवन में अपनाने वाला हर दूसरा व्यक्ति इस बीमारी से ग्रस्त है। रिसर्चर्स की मानें तो बीमारी के लक्षण सर्च करना कैंसर से भी खतरनाक है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनसार दुनिया में 80 प्रतिशत लोग इंटरनेट के जरिए अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी जुटाते हैं। यह आदत कई मायने में इंसान की जिदंगी पर कुप्रभाव डाल सकती है।
मेडिसिन के साथ ही कई तरह के घरेलू उपायों की जानकारी भी इंटरनेट पर रहती है। जिसे ज्यादातर लोग आंख बंद कर फॉलो करना शुरू कर देते हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि यह सभी उपाय सभी को सूट करे। कई बार उपाय अपनाने का तरीका भी गलत हो सकता है, जिसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही कई बार कुछ चीजों से एलर्जी होने की भी आशंका रहती है। इंटरनेट के जरिए सेल्फ डायग्नोसिस की बजाय डॉक्टर्स से संपर्क करना चाहिए क्योंकि ज्यादातर सर्च में मल्टीपल रिजल्ट्स आते हैं, जो भ्रांतियां पैदा करते हैैं।
स्वास्थ्य से जुड़ी हर छोटी-बड़ी समस्या के लिए इंटरनेट पर सर्च करना।
किसी भी लक्षण को लगातार इंटरनेट पर सर्च करते रहना।
नियमित तौर पर सेहत से जुड़ी किसी न किसी चीज को सर्च करते रहना और आधा घंटा से ज्यादा इसी पर वक्त बिताना।
सर्च करने के दौरान तनाव महसूस करना लेकिन सर्च के बाद रिलैक्स हो जाना।