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रोग और उपचार

डायरिया होने पर रखें इन बातों का ध्यान

गर्मी शुरू होते ही बच्चों (02 से 11 साल) में डायरिया की समस्या आम हो जाती है। इसके पीछे की वजह दूषित खानपान के कारण फूड पॉइजनिंग है।

जयपुरMay 16, 2019 / 06:28 pm

विकास गुप्ता

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गर्मी शुरू होते ही बच्चों (02 से 11 साल) में डायरिया की समस्या आम हो जाती है। इसके पीछे की वजह दूषित खानपान के कारण फूड पॉइजनिंग है।

गर्मी शुरू होते ही बच्चों (02 से 11 साल) में डायरिया की समस्या आम हो जाती है। इसके पीछे की वजह दूषित खानपान के कारण फूड पॉइजनिंग है। अक्सर लोग डायरिया को हल्के में लेते हैं। उन्हें नहीं पता होता कि डायरिया के चलते शरीर के कई महत्त्वपूर्ण अंग प्रभावित होते हैं। किडनी इनमें से एक है। गंभीर डायरिया में एक्यूट रिनल फेल्योर हो जाता है।

किडनी पर असर कैसे –
किडनी का काम खून बनाने के साथ शरीर में मौजूद हानिकारक तत्त्वों को यूरिन के रास्ते बाहर निकालना भी है। डायरिया में बच्चे को बार-बार दस्त होते हैं जिससे शरीर से 24 घंटे में ही करीब पांच से दस लीटर पानी और आवश्यक लवण निकल जाते हैं। यूरिन बनना बंद हो जाता है। यूरिया व क्रिएटनिन का स्तर बढ़ जाता है। शरीर में मौजूद हानिकारक तत्त्व बाहर नहीं निकल पाते हैं। यह स्थिति किडनी के फेल होने पर बनती है।

दूषित खानपान है कारण –
डायरिया दूषित व बासी खानपान से होता है। दूषित खानपान में शिगैला, सालमोनेला व कॉलरा जैसे बैक्टीरिया रहते हैं जो शरीर में पहुंचकर डायरिया करते हैं। भारत में शिगैला के कारण सबसे अधिक बच्चे डायरिया की चपेट में आते हैं। ये बैक्टीरिया नालियों या मल-मूत्र वाले गंदे स्थानों में पाए जाते हैं।

खूब पानी पिलाएं –
बच्चे के शरीर में पानी व लवण की मात्रा बनी रहे इसके लिए उसे लगातार पानी पिलाएं। यूरिन सामान्य होने तक खूब पानी पिलाएं। बच्चा सुस्त दिखे तो डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर ड्रिप लगवाने को कह सकते हैं। ब्लड प्रेशर की जांच करवाते रहें।

यूरिमिक सिंड्रोम की आशंका –
डायरिया (दस्त) के साथ अगर बच्चे को झटके आ रहे हैं तो यह हिमोलेटिक यूरिमिक सिंड्रोम (एचयूएस) हो सकता है। एचयूएस भी डायरिया करने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है। इसमें दस्त के साथ बुखार, मिर्गी की तरह झटके और स्टूल में ब्लड आता है। एचयूएस से पीडि़त अधिकतर बच्चों की किडनी खराब हो जाती है। इसके पीछे जागरुकता की कमी है। डायरिया से पीडि़त करीब 7.8 प्रतिशत बच्चों को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है जबकि एचयूएस से पीडि़त लगभग 50 फीसदी बच्चों को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।

 

सब बरतें सावधानी –
घर के आसपास सफाई रखें, दूषित और बासी भोजन न लें, बाहर के खाने की आदत न डालें, जंकफूड से दूर रहें, हरी सब्जियां और फल को अच्छे से साफ कर प्रयोग में लें। खुले में बिक रहे जूस और मिठाइयां न खाएंं।

ऐसे जांचें यूरिन की मात्रा –
बच्चों में प्रति मिनट लगभग एक मिलिलीटर यूरिन बनता है। डायरिया के दौरान यूरिन बनना कम हो जाता है। अगर बच्चा 24 घंटे में 400 मिलिलीटर से कम यूरिन करता है तो चिंताजनक है। इलाज के दौरान पीडि़त बच्चे के यूरिन की मात्रा नापी जाती है।। सामान्य बच्चा एक घंटे में लगभग 60 मिलिलीटर यूरिन करता है। इलाज के दौरान अगर बच्चा एक घंटे में 60 मिलिलीटर यूरिन करता है तो वह स्वस्थ हो चुका है। अगर ऐसा नहीं है तो खूब पानी पिलाते रहें। शरीर में पानी की उचित मात्रा पहुंचने से डायरिया पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। उसके बाद दोबारा यूरिन की जांच करें।

गंभीर डायरिया के लक्षण –
दस्त, बच्चे में सुस्ती, अद्र्ध चेतन अवस्था में जाना, आंखें अंदर की तरफ धंसना, खुश्क त्वचा, ब्लड प्रेशर कम होना, यूरिन बंद होना या इसकी मात्रा में कमी।

 

जरूरी जांचें –
डायरिया में खून की जांच होती है जिससे क्रिएटनिन, ब्लड काउंट, यूरिया-सीरम कराया जाता है। वायरस की मौजूदगी देखने के लिए स्टूल कल्चर कराते हैं।

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