scriptएट्रॉफिक राइनाइटिस : नाक से बदबू लेकिन मरीज अनजान, एेसे करें देखभाल | know Atrophic rhinitis symptoms and care | Patrika News

एट्रॉफिक राइनाइटिस : नाक से बदबू लेकिन मरीज अनजान, एेसे करें देखभाल

locationजयपुरPublished: Jul 03, 2019 04:06:34 pm

एट्रॉफिक राइनाइटिस नाक के अंदर होने वाली यह समस्या को नेजल इंफेक्शन भी कहते हैं

nose problem

एट्रॉफिक राइनाइटिस : नाक से बदबू लेकिन मरीज अनजान, एेसे करें देखभाल

एट्रॉफिक राइनाइटिस नाक के अंदर होने वाली यह समस्या को नेजल इंफेक्शन भी कहते हैं, जिसके बेहद कम मामले सामने आते हैं। इसके ज्यादातर मामले युवाओं और महिलाओं में देखे गए हैं। इसमें नाक के अंदर की कोशिकाएं, श्लेष्मा झिल्ली, टरबीनेट हड्डी और ग्रन्थियां आदि में बदलाव होने लगता है जिससे या तो ये गल जाते हैं या फिर सिकुड़कर छोटे होने लगते हैं। इससे नाक अंदर से चौड़ी हो जाती है और मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने के अलावा अन्य कई परेशानियां भी होने लगती है। जानते हैं इसके बारे में –
कारण :
हार्मोन्स के स्तर में बदलाव, विटामिन-ए, डी व आयरन की कमी, सिफलिस और लेप्रोसी भी इसकी वजह बन सकते हैं।क्लेबसिला ओजीना नामक जीवाणु के संक्रमण, वंशानुगत या पूर्व में हुई नाक से जुड़ी कोई सर्जरी जिसमें नाक के अंदर की संरचनाएं व ऊत्तक नष्ट हो गए हैं, तो भी यह रोग हो सकता है।
लक्षण :
कई बार नाक के चौड़े होने पर पपड़ी व क्रस्ट के लगातार जमने से सांसमार्ग में रुकावट आ जाती है जो नाक से बदबू आने का कारण बनती है। संवेदनशील और नाजुक कोशिकाओं के कमजोर होने से भी ऐसा महसूस होता है। नाक से बदबू आती है लेकिन खुद मरीज इस बदबू से अनजान रहता है। दूसरों से ही उसे इसका पता लगता है। इसे मर्सी एनोसमिया या ओजिना कहते है। इस वजह से सूंघने की क्षमता में कमी आने के अलावा नाक से खून भी आ सकता है।
इलाज :
खुश्की-सूखी पपडिय़ों से निजात पाने के लिए तेलीय पदार्थ जैसे लिक्विड पेराफीन या ग्लिसरीन नाक में डालते हैं। नाक की सफाई रखना जरूरी होता है। इसके लिए एक निश्चित अनुपात में नमक व मीठा सोडा के मिश्रण से बने एल्केलाइन द्रव्य का इस्तेमाल करते हैं। श्वसन मार्ग खोलने के लिए योग भी कराते हैं। संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। तकलीफ ज्यादा होने पर सर्जरी कर नाक के चौड़े छिद्र को संकरा किया जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो