भ्रांति : आयुर्वेदिक दवाइयों में स्टेरॉयड,हैवी मेटल्स जैसे हानिकारक तत्व होते हैं!
सच : मुनष्यों पर प्रयोग के बाद सामने आया है कि दवा को निर्देशानुसार लेने पर इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। आयुर्वेद का उद्देश्य मनुष्य को आरोग्य देना है। ऐसे में हानिकारक तत्वों की बात कोरी धारणा है।
भ्रांति : आयुर्वेदिक दवाइयों का स्वाद बेहद कसैला होता है जिसे लेना आसान नहीं होता !
सच : आयुर्वेद स्वाद नहीं बल्कि संपूर्ण आरोग्य पर ध्यान देता है। हालांकि आयुर्वेद में दवाओं को शहद, तेल, पानी जैसे किसी न किसी माध्यम के जरिए लेने की अनुशंसा की जाती है।
भ्रांति : आयुर्वेदिक दवाइयों का निर्माण बिना किसी शोध और गहन परीक्षण के होता है!
सच : वर्तमान में कई आयुर्वेद फार्मेसी औषधियों का शास्त्रों की पद्धति से निर्माण कर रहीं हैं। ऐसे में वर्तमान पद्धतियों की शोधपरकता के साथ इसकी तुलना करना बेमानी है। इसकी पद्धतियां अच्छी तरह जांची-परखी हुई हैं।
भ्रांति : आयुर्वेदिक दवाइयां महंगी हैं। यही वजह है कि आम लोगों को सहजता से नहीं मिल पाती!
सच : आयुर्वेदिक दवाइयां मिश्रणों के रूप में दी जाती है और कुछ तत्वों की कम उपलब्धता, उत्पादन या उपयोगिता के कारण संभव है कि दवाइयां महंगी हो जाती हैं। यह रोग विशेष पर निर्भर करता है।
भ्रांति : आयुर्वेदिक उपचार और इसका ज्ञान होना बड़ा कठिन और अस्पष्ट सा है!
सच : बिल्कुल नहीं, आयुर्वेद सहज, सरल और सीधा-सपाट ज्ञान देता है। नुस्खों की संस्कृत प्रधान भाषा और उनका अन्य भाषाओं में अनुवाद नहीं होने से यह भ्रांति पनपी है। आयुर्वेद से जुड़ी सभी जानकारियां इंटरनेट पर मौजूद हैं।
भ्रांति : आयुर्वेदिक उपचार युवाओं के लिए नहीं है। केवल बुजुर्ग लोगों के लिए ज्यादा प्रभावी है !
सच : आयुर्वेदिक उपचार हर उम्र के लोगों के लिए उतना ही प्रभावी है जितना कि दूसरी चिकित्सा पद्धतियां। संभवत: सहज, सस्ता और प्रभावी होने की वजह से अधिकांश बुजुर्ग आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाते हैं।
भ्रांति : आयुर्वेदिक उपचार लम्बा होता है और इसके प्रभाव बहुत देर से सामने आते हैं !
सच : आयुर्वेद में पूर्व उपचारों के दुष्प्रभावों को खत्म करने में समय लगता है। संभव है इसी कारण ज्यादातर लोग आयुर्वेदिक उपचार को स्लो ट्रीटमेंट कहते हैं। एलौपेथी की सुपरफास्ट स्पीड से आयुर्वेद की तुलना करना उचित इसलिए नहीं है कि दोनों में बुनियादी अंतर है। आयुर्वेद कभी भी तात्कालिक समाधान की बात नहीं करता क्योंकि इसके सिद्धांत संपूर्ण आरोग्य पर बल देते हैं।