शोध की शुरुआत –
जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने आयुर्वेद से डेंगू की प्रजातियों को खत्म करने का सोचा, जिसके बाद रेनबैक्सी फार्मास्युटिकल कंपनी के साथ मिलकर काम शुरू हुआ। दोनों ने एम्स के सहयोग से विभिन्न जड़ी-बूटियों में से 22 ऐसी जड़ी-बूटियों को चुना जो डेंगू से मिलते-जुलते लक्षणों जैसे बुखार, दर्द व हैमरेज को दूर करने पर काम कर सकें।
असरकारक है लघु पाठा –
आयुर्वेदिक नजरिए से लघु पाठा की जड़-पत्तों का चूर्ण बुखार कम करने (एंटीपायरेटिक) के साथ विषैले तत्त्व बाहर निकालता है। इसमें सिसम्प्लिन, सीपेरिन बेविरिन व सेपोनिन जैसे तत्त्व हैं। एक चम्मच चूर्ण को एक गिलास पानी में 1/4 होने तक उबालें व काढ़े के रूप में पी सकते हैं।
जल्द पूरा होगा शोध –
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) को शोध के लिए भेजे गए 22 जड़ी-बूटियों में से उस एक को चुनना था जो डेंगू की प्रजातियों व उसके अन्य प्रकारों के विरुद्ध काम कर सके। आखिरकार सिसमपेलोज पेरियरा (भारत में लघु पाठा के नाम से प्रसिद्ध) को डेंगू की चारों प्रजातियों के विकास व फैलाव को रोकने में सक्षम पाया गया।