हड्डियों के अंदरूनी भाग में पाया जाने वाला गूदा या अस्थिमज्जा, रक्त कणों की जननी है। यानी अस्थिमज्जा में ही हर तरह के रक्त कण बनते हैं, जिनमें लाल रक्त कणों की भरमार होती है। एक क्यूबिक मिलीलीटर रक्त में लगभग 50 लाख लाल रक्त कण होते हैं। एक बूंद खून को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर रक्त के लाल कण गोल-गोल तश्तरियों की तरह नजर आते हैं, जो किनारे पर मोटे और बीच में पतले दिखते हैं। इन लाल रक्त कणों के अंदर हीमोग्लोबिन भरा होता है। लाल रक्त कणों के अंदर 30-35 प्रतिशत भाग हीमोग्लोबिन का होता है। अस्थिमज्जा में ही विटामिन बी-6 यानी पाइरिडॉक्सिन की उपस्थिति में लोहा, ग्लाइलिन नामक एमिनो एसिड से संयोग कर ‘हीम’ नामक यौगिक बनाता है, जो ग्लोबिन नामक प्रोटीन से मिलकर हीमोग्लोबिन बनता है। इससे स्पष्ट है कि हीमोग्लोबिन, रक्त का मुख्य प्रोटीन तत्व है।
हीमोग्लोबिन शरीर में खून का स्तर बताता है। खून की कमी का पता ब्लड टेस्ट से चलता है। हीमोग्लोबिन हीमो (आयरन) ग्लोबिन (प्रोटीन) से मिलकर बना है। यदि लेवल कम है तो बच्चे को डॉक्टरी सलाह से आयरन व प्रोटीन बढ़ाने वाली दवाएं और डाइट देनी चाहिए। प्राकृतिक रूप से पालक, सेब, अनार में आयरन होता है। दूध, पनीर और दाल में प्रोटीन होता है। उम्रवार हीमोग्लोबिन लेवल यह होना चाहिए:
5 वर्ष तक- 10.9-15.0 एचजी
5-11 वर्ष- 11.9-15.0 एचजी
11-18 वर्ष – 11.9-15.0 एचजी
(फिजिशियन के अनुसार)