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जानें वायु प्रदूषण से फेफड़ों को बचाने के उपाय

वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है जिसका फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और यह सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है।

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Vikas Gupta

Nov 12, 2017

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वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है जिसका फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और यह सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है।

दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में अनाज का भूसा जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण का बुरा असर हवा की गुणवत्ता पर पड़ा है, जिसके चलते खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है जिसका फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और यह सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है।


प्रदूषित हवा उन लोगों को ओर ज्यादा प्रभावित कर रही है जो पहले से सांस की समस्याओं जैसे ब्रॉंकियल अस्थमा, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिस्ऑर्डर, इंटरस्टीशियल लंग डीजीज (फेफड़ों का रोग), सिस्टिक फाइब्रोसिस, फेफड़ों के कैंसर से पीडि़त हैं। इसके अलावा बुजुर्गों और कम प्रतिरक्षी क्षमता वाले लोगों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। मौजूदा स्थिति में सलाह दी जाती है कि जहां तक हो सके, प्रदूषित हवा के सम्पर्क में आने से बचें, वायू प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनें।
कुछ सुझाव :
घर की भीतरी हवा की गुणवत्ता को नियन्त्रित रखें- दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें। एयर प्यूरीफायर भी लगा सकते हैं।

पूरी बाजू के कपड़े पहनें और अपने चेहरे को अच्छी गुणवत्ता के मास्क से ढकें। (नियमित समय अंतराल पर मास्क बदलें)
घर के बाहर किए जाने वाले व्यायाम से बचें, इसके बजाए घर के अंदर योगा जैसे व्यायाम करें।

अपने घर के आस-पास प्रदूषण कम करने के लिए पेड़ लगाएं।
प्रतिरक्षी क्षमता को मजबूत बनाने के लिए अदरक और तुलसी की चाय पीएं।

अपने आहार में विटामिन सी, ओमेगा 3 और मैग्निशियम, हल्दी, गुड़, अखरोट आदि का सेवन करें।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रदूषण फैलाने वाली कम से कम चीजों का इस्तेमाल करें।

ज्यादा धुंआ छोड़ने वाले वाहनों का कम इस्तेमाल करें।

घर से जब बाहर निकलें मास्क लगाकर निकलें।

नियमित रूप से योग व प्रणायम करें।

गाड़ी चलाते समय खिड़कियों के शीशे आदि बंद करके रखें।

घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।