नींद ना आना या कम नींद लेने से मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। यह एक गंभीर स्थिति है। शोधकतार्ओं ने कहा है कि नींद की कमी से इंसुलिन के प्रति शरीर संवेदना घट जाती है यानी इंसुलिन बनने की प्रक्रिया सुस्त हो जाती है, जिससे रक्त शर्करा को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है और मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
अमेरिका के कोलोराडो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, और अध्ययन के मुख्य लेखक केनेथ राइट ने कहा, हमने पाया कि जब लोग कम नींद लेते हैं तो वे उस समय जाग रहे होते हैं जब उन्हें सोना चाहिए। राइट ने बताया, जब वह सुबह कुछ खाते हैं तो इससे उनके रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता को नुकसान पहुंचाता है।
शोधकतार्ओं ने अपने अध्ययन में स्वस्थ पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया। इनमें से आधे प्रतिभागी पांच दिनों तक रात के समय केवल पांच घंटे सोए थे और अपने नियमित कार्य किए थे। उसके बाद उन्होंने पांच दिनों तक हरेक रात नौ घंटे नींद ली थी। बाकी आधे प्रतिभागियों ने विपरीत क्रम में नींद की शर्तें पूरी की।
रक्त परीक्षण के बाद पता चला कि जिन्होंने रात में केवल पांच घंटे नींद ली, उनमें इंसुलिन की संवेदनशीलता कम पाई गई। इसके कारण मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। लेकिन जब वे रात को नौ घंटे सोते हैं, तो मौखिक इंसुलिन संवेदना सामान्य हो जाती है।
इसका निष्कर्ष यह निकला कि नींद की कमी के कारण मेटाबोलिक तनाव बढ़ता है। यह अध्ययन ‘करेंट बायोलॉजीÓ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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