प्रमुख लक्षण
ब्रेस्ट में गांठ व इसका आकार धीरे-धीरे बढऩा, ब्रेस्ट का असामान्य तरीके से बढऩा, बगल में सूजन, निप्पल का लाल पडऩा या उनसे खून आना, स्तन में कोई उभार या असामान्य मोटाई, स्तन में झुर्रियां पडऩा या लालिमा, बिना किसी चोट के स्तन पर खरोंच, दर्द, निप्पल अंदर धंसना व बुखार आना अहम लक्षण हैं। ब्रेस्ट में दर्द या गांठ जरा-सा भी महसूस हो तो डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। कई बार इनमें दर्द नहीं होता लेकिन छूने पर महसूस होती हैं। लक्षण किसी भी उम्र में दिख सकते हैं इसलिए नजरअंदाज न करें।
जांचें व इलाज
40 साल की उम्र के बाद से हर महिला को साल में एक बार विशेषज्ञ से मिलकर जरूरी मैमोग्राफी करवा लेनी चाहिए। इससे प्रभावित हिस्से में मौजूद सूक्ष्म कैंसरग्रस्त भाग का भी पता लगाया जा सकता है। इस स्थिति में कैंसर के इलाज में पूरे स्तन को निकालने की जरूरत नहीं पड़ती। इस अवस्था में पता चलने वाले स्तन कैंसर के रोगियों का 90 से 95 प्रतिशत तक सफल इलाज हो सकता है। जिन मामलों में स्तन कैंसर का पता एडवांस्ड स्टेज में लगता है तो इलाज के रूप में पूरे स्तन को ऑपरेशन कर निकाला जाता है।
ऐसे करें बचाव
कैफीन उत्पादों, शराब व वसायुक्त भोजन से बचें। तंग कपड़े न पहनें, इनसे रक्तसंचार बाधित होता है जो कभी भी गांठ का रूप ले सकता है। आहार में हाईफाइबर से युक्त चीजें खानी चाहिए। जिसमें बींस, पत्तागोभी, लहसुन, साबुत अनाज, अलसी का तेल अहम हैं। इनसे रक्त संचार बेहतर बना रहेगा जिससे तत्त्वों को कहीं भी जमाव नहीं होगा। साथ ही प्याज, गाजर, चुकंदर, नींबू, गोभी, ब्रॉकली आदि खाने के अलावा खूब पानी पीएं।