लाल-लाल रसीली लीची गर्मियों में खूब खाई जाती है, लेकिन क्या आपको पता है अगर सावधानी से इसे न खाया जाए तो ये जानलेवा भी साबित हो सकती है। लीची में कुछ छिपे हुए कीड़े हो सकते हैं जो कि प्वाइजनिंग और एलर्जी का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा ये अन्य प्रकार से भी आपको नुकसान पहुंचाते हैं।
लीची में मौजूद कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) के लिए जिम्मेदार होते हैं। बिहार में चमकी बुखार या दिमागी बुखार का कारण भी लीची ही माना गया था। ये मस्तिष्क में सूजन की वजह बनती है। इसमें बुखार, उल्टी और बेहोशी या दौरे की शुरुआत शामिल है।
खाली पेट लीची खाना पायजनेस होता है। इस फल में पाया जाने वाला मेथिलीन साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (MCPG) नामक केमिकल मस्तिष्क को प्रभावित करता है और पेट में एसिडिटी, ब्लोटिंग और बदहजमी के साथ ही फूड पॉयजिनिंग का कारण बनता है।
लीची का साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (Methylene cyclopropyl-glycine) ब्लड शुगर को लो कर देता है। अचानक ब्लड शुगर को लो होने से हाइपोग्लासिमिया (Hypoglycemia) का खतरा बढ़ जाता है।
लीची में छिपे हुए माइक्रोब्स फूड प्वाइजिंग और एलर्जी का कारण होते हैं। ये पेट से जुड़ी गड़बड़ियों का कारण बन सकते हैं। शरीर पर लाल चक्कते और रैशेज आ सकते हैं।
छोटे बच्चों को लीची ज्यादा ना खिलाएं]क्योंकि इन्हें बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। इंफेक्शन का कारण इनके पेट में अचानक तेज दर्द और शरीर पर लाल-लाल दाने उभर आते हैं। अगर खाली पेट इन्होंने इसे खाया तो खतरा और ज्यादा होगा।
लीची खाने जा रहे हैं तो कभी खाली पेट न खाएं और हमेशा ताजी लीची देखकर खाएं। इसे छिलने के बाद देखें कि कहीं इसमें कोई कीड़ा या कालापन नजर आए तो उसे बिलिुल न खाएं। साथ ही अगर खाने के बाद शरीर में कोई भी परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और उनसे संपर्क करें।