ग्लीसरीन और गोलगप्पे से छालों का इलाज नहीं
छालों को ठीक करने के लिए लोग ग्लीसरीन का इस्तेमाल करते हैं। ग्लीसरीन छाले पर कोटिंग का काम करता है, लेकिन छाला कैंसरयुक्त है तो ग्लसरीन उसपर काम नहीं करेगा। कुछ लोग मानते हैं कि मुंह के छालों के दर्द से निजात के लिए बहुत तीखे मीर्ची वाले गोलगप्पे फायदेमंद होते हैं। गोलगप्पे खाने से मुंह के छाले ठीक नहीं हो सकते हैं। इससे समस्या और गंभीर होगी और हो सकता है कि मुंह का घाव तेजी से फैल जाए।
इन कारणों से भी होते हैं छाले
पेट का अच्छे तरीके से साफ होना, लंबे समय से कब्ज से परेशान रहना, मुंह के भीतर की सबसे कोमल परत ‘म्यूकोसा’ को बार-बार टेढ़े-मेढ़े दांतों से चोट लगना। सुपाड़ी चबाने के दौरान उसकी नोक से म्यूकोसा का कट जाना, सुपाड़ी से निकलने वाला एरकनॉयड एसिड, मुंह को अच्छे तरीके से साफ न करना, किसी दवा के संक्रमण की वजह से मुंह के भीतर घाव बनना, बहुत तीखा और चटपटा खाना मुंह की सेहत को खराब करता है। इसके अलावा शरीर में पोषक तत्वों की कमी, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना। लंबे समय से मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति को मुंह में छाले (माउथ अल्सर) होने का खतरा अधिक रहता है। जितना छोटा छाला जितनी जल्दी पकड़ में आ जाए उसका इलाज उतनी ही आसानी से संभव है। गंभीर समस्या से बचने के लिए मुंह को शीशे के सामने खोलकर देखें। मुंह के भीतर सफेद लाल दाग को नजरअंदाज न करें। मुंह कम खुल रहा है तो ये लक्षण सावधानी बरतने के लिए काफी है।