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रोग और उपचार

गर्भवती हैं तो समझ लें, कब कितना सोना है जरूरी

दस साल की उम्र के बाद लड़कियों के शरीर में बदलाव होते हैं जिसको लेकर अभिभावकों को उन पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

Mar 29, 2018 / 08:39 pm

manish singh

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दस साल की उम्र के बाद लड़कियों के शरीर में बदलाव होते हैं जिसको लेकर अभिभावकों को उन पर अधिक ध्यान देना चाहिए। लड़कियों या महिलाओं में किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कभी भी यह नहीं मानना चाहिए कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है और अपने आप ठीक हो जाएगी। यह मात्र एक भ्रम है जिसका लडक़ी या महिला की सेहत पर बाद में बुरा असर पड़ता है। हीमोग्लोबिन का लेवल कम होना, पेट में दर्द और कमजोरी के साथ थकान की तकलीफ होने पर तुंरत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। गर्भवती महिला को अपने खानपान के साथ आराम का पूरा खयाल रखना होगा। दिन में कम से कम दो घंटे, जबकि रात में आठ घंटे की नींद स्वस्थ मां और शिशु के लिए बहुत जरूरी है। बाएं करवट होकर सोना फायदेमंद रहता है।

खानपान में इनका रखें खास खयाल

लड़कियों और महिलाओं को अपनी सेहत बेहतर रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इसमें दाल, रोटी, चावल, सब्जी के साथ फल, मेवे, गुड़ और गुड़ से बनी चीजें खानी चाहिए। शरीर में आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा का ध्यान देना होगा। कमी अधिक है तो डॉक्टर की राय से आयरन, कैल्शियम की गोली लेनी चाहिए।

गर्भावस्था में नियमित जांच जरूरी

गर्भावस्था में नियमित जांच जरूरी है। इसमें हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर महत्वपूर्ण है। गर्भवती का हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर ठीक रहेगा तो गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ होगा। महिला को सभी टीके समय पर लगवाने चाहिए। हाई रिस्क प्रेगनेंसी में महिला का एचबी कम है, ब्लड प्रेशर असंतुलित है और प्लेसेंटा नीचे की ओर है तो समय-समय पर डॉक्टरी सलाह लेते रहना चाहिए।

आयुर्वेद में हर माह के मुताबिक सलाह

आयुर्वेद में गर्भवती के लिए हर माह के मुताबिक दवाओं और खानपान की सलाह दी जाती है। फलघृत नाम की दवा का प्रयोग करने से बच्चे का एमनियोटिक फ्लूइड सही रहने के साथ वजन भी बढिय़ा रहता है। इस दवा के प्रयोग से निओनेटल मॉर्टेलिटी को कम किया जा सकता है। गर्भवती का वजन अधिक है तो उसे इसकी जगह दूसरी दवा देते हैं। इस दवा का प्रयोग बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करना चाहिए। प्लान पे्रग्नेंसी में आयुर्वेद में कई तरह की प्रक्रिया और उपचार हैं, जिनके प्रयोग से स्वस्थ और श्रेष्ठ शिशु का जन्म होता है।

डॉ. अपर्णा शर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, एसएमएस अस्पातल
डॉ. हेतल एच. दवे, आयुर्वेद विशेषज्ञ, एनआईए, जयपुर

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