प्रोस्टेट पुरुषों में पाई जाने वाली ग्रंथि है जो मूत्राशय के नीचे, मलाशय के आगे और मूत्र मार्ग के चारों ओर स्थित होती है। आयु बढ़ने के साथ-साथ इस ग्रंथि का आकार बढ़ना एक सामान्य प्रक्रिया है। इसका सामान्य वजन 7-18 ग्राम होता है।
40 वर्ष की उम्र के बाद प्रोस्टेट का आकार बढ़ना सामान्य विकार है। लेकिन 60 वर्ष की उम्र के बाद इस ग्रंथि के बढ़ने और इसमें सूजन के मामले ज्यादा सामने आते हैं। आमतौर पर इसके प्रमुख व ठोस कारण अज्ञात हैं। लेकिन शरीर में होने वाला हार्मोनल बदलाव रोग का खतरा बढ़ाता है।
यूरिन करने में तकलीफ, बार-बार यूरिन की इच्छा या रोक न पाना, यूरिनरी ब्लैडर पूरी तरह से खाली न होना, ग्रंथि में सूजन, बूंद-बूंद यूरिन आना, रात्रि के समय यूरिन के लिए बार-बार जाना परेशानियां होती हैं। कई बार ग्रंथि बढ़ने से यूरिन बंद हो जाता है।
लक्षणों को बार-बार नजरअंदाज करना व समय पर इलाज न लेना भविष्य में प्रोस्टेट कैंसर और किडनी में संक्रमण की आशंका बढ़ा देता है। ऐसे में 40-50 की उम्र के बाद नियमित जांचें कराते रहना चाहिए।
– पांच ग्राम गोखरू और दस ग्राम कांचनार की छाल को दो गिलास पानी में उबालें। इसकी मात्रा एक चौथाई रहने के बाद छानकर ठंडा करें। सुबह-शाम पीने से फायदा होता है।
कांचनार और गुग्गुलू की दो-दो गोली सुबह-शाम लेने से भी लाभ होता है। वरुण, पुनर्नवा, मकोय और कांचनार के अर्क को गोमूत्र के साथ लिया जा सकता है।
आनुवांशिक कारण होने की स्थिति के अलावा यदि इस रोग की शुरुआती स्टेज है तो कपालभाति, गोमुखासन, सिद्धासन व मूलबंधासन कर सकते हैं। इन्हें कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है।