scriptनाजुक हड्डियों पर दबाव पड़ने से बदलता शिशु के सिर का आकार | Size of the babys head changing from the pressure on delicate bones | Patrika News
रोग और उपचार

नाजुक हड्डियों पर दबाव पड़ने से बदलता शिशु के सिर का आकार

शिशु के सोने, लेटने के दौरान पडऩे वाले दबाव से सिर का आकार अलग-अलग हो जाता है। लेकिन कई बार सिर के आकार में गड़बड़ी से कई दिक्कतें जन्म ले सकती हैं।

Nov 14, 2017 / 04:47 pm

विकास गुप्ता

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शिशु के सोने, लेटने के दौरान पडऩे वाले दबाव से सिर का आकार अलग-अलग हो जाता है। लेकिन कई बार सिर के आकार में गड़बड़ी से कई दिक्कतें जन्म ले सकती हैं।

अक्सर बच्चों के सिर के आकार से जुड़ी समस्याएं या तो बचपन में या फिर बच्चे के थोड़े बड़े होने पर सामने आती हैं। वैसे तो सिर का आकार अलग होना सामान्य होता है। क्योंकि शिशु के सोने, लेटने के दौरान पडऩे वाले दबाव से सिर का आकार अलग-अलग हो जाता है। लेकिन कई बार सिर के आकार में गड़बड़ी से कई दिक्कतें जन्म ले सकती हैं।
इसलिए बदलता आकार
जन्म के बाद 6-7 माह तक बच्चे के सिर की हड्डी व कोशिकाएं काफी नाजुक होती हैं। ऐसे में प्रसव के समय शिशु के सिर की हड्डी व इन कोशिकाओं पर दबाव पडऩे से आकार थोड़ा बदलकर त्रिकोणाकार हो जाता है। सोते समय या लेटने के दौरान सिर के एक ही भाग पर बार-बार दबाव पड़ने से सिर की नाजुक हड्डियां नरम होने के कारण चपटी हो जाती हैं। इसकी दो अवस्थाएं हैं। पहला, प्लेगियोसेफ्ली, जिसमें सिर के पीछे का हिस्सा चपटा हो जाता है। दूसरा, ब्रेकीसेफ्ली, जिसमें सिर का दायां-बायां हिस्सा चपटा हो जाता है।
एक ही करवट सुलाए रखने से भी शिशु के सिर की त्वचा अंदर धंसने लगती है जिससे सिर का आकार एक तरफ से बिगड़ जाता है।
सुलाने व करवट के सही तरीके से नहीं बिगड़ती बच्चे की शारीरिक संरचना। 100 में से 7 बच्चों को बढ़ती उम्र के दौरान सिर के आकार में खराबी से दिक्कतें आ सकती हैं। इससे दिमागी विकास में रुकावट की आशंका रहती है।
इन बातों को ध्यान में रखें
करवट बदलते रहें : बे्रस्टफीडिंग के दौरान कोशिश करें कि उसे कभी दाएं हाथ से गोद में लें और कभी बाएं हाथ से। इससे बच्चे को गर्दन के मूवमेंट में मदद मिलेगा और सिर के किसी एक ही हिस्से पर दबाव भी नहीं पड़ेगा।
गोलाकार तकिया : सुलाते समय या सोकर उठने के बाद बच्चे के सिर के नीचे विशेष आकार का तकिया लगाएं। ताकि सिर पर ज्यादा दबाव न पड़े और सिर दाईं-बाईं की तरफ आसानी से घूम सके। तकिया मौजूद न हो तो किसी नरम कपड़े के तौलिए को गोलाकर में सिर के नीचे लगाएं।
दिशाओं को बदलें : जिन चीजों को लेटे या बैठे हुए बच्चे को देखने की आदत है उनकी दिशाओं को बदलने के साथ बच्चे के बेड की जगह में भी बदलाव करें। इससे बच्चा लेटे हुए गर्दन को दाएं से बाएं या बाएं से दाएं घुमाने की आदत डालेगा।
नाजुक हड्डी टूटने की आशंका
शुरुआती अवस्था में ही यदि इस बदलाव को देखकर सही कर लिया जाए तो कुछ समस्याओं से बचाव संभव है। जैसे नाजुक हड्डियों के मुडऩे के बाद जैसे-जैसे बच्चे के विकास के साथ सिर का आकार बढ़ता है,मुड़ी हुई हड्डी के टूटने की आशंका बढ़ जाती है। सिर के पिछले हिस्से में हुए बदलाव से रीढ़ की हड्डी पर भी असर होता है।
सिर-गर्दन पर
सहारा देकर लेटाएं
शिशु को सुलाते समय उसकी पीठ व सिर पर हाथों का सहारा दें। क्योंकि ये उसके विकास के लिए जरूरी हैं। कई बार ऐसा न करने से सिर की नसें खिंचने से सडन इन्फेन्ट डैथ सिंड्रोम की आशंका बढ़ती है।
बेबी हेलमेट पहनाएं
जिनके सिर का आकार ४ माह से ज्यादा समय तक ठीक न हो उनके लिए डॉक्टर विशेष हेलमेट पहनाने की सलाह देते हैं।

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