कपिंग के लिए शीशे का कप यूज करके वैक्यूम पैदा किया जाता है, ताकि कप बॉडी से चिपक जाए। अब मशीन का यूज भी किया जाने लगा है। जिस पॉइंट पर बीमारी की पहचान होती है, वहीं पर कपिंग की जाती है।
ड्राई कपिंग : हर्निया, हाईड्रोसिल, बवासीर, सियाटिका, आर्थराइटिस, नकसीर और जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए शरीर पर कांच के छोटे-छोटे कप लगाकर प्रेशर देते हैं जिससे रक्त संचार, खून जमने व हड्डियों में गैप की समस्या ठीक होती है। वैक्यूम खत्म होते ही कप अलग हो जाते हैं।
माइग्रेन, जॉइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल डिस्क, पैरों में सूजन, सुन्ना होना और झनझनाहट, हर प्रकार का दर्द, सायटिका, चर्मरोग, स्पॉन्डिलाइटिस, किडनी, हृदय रोग, लकवा, मिर्गी, गर्भाशय व हार्मोनल विकार, अस्थमा, साइनुसाइटिस, मधुमेह, मोटापा, थायरॉइड की समस्या, पेट के रोग, चेहरे पर दाने व दाग धब्बे और गंजेपन जैसी समस्या का इलाज संभव है।