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इस तरह के खान-पान से बच्चों में बढ़ रही है किडनी की समस्या

World Kidney Day : अस्वस्थ आहार, ज्यादा नमक और चीनी से बच्चों में किडनी की बीमारी बढ़ रही है। यह चेतावनी डॉक्टरों ने विश्व किडनी दिवस पर दी है। हर साल 14 मार्च को विश्व किडनी दिवस (World Kidney Day on 14 March) मनाया जाता है। इस दिन लोगों को किडनी (Kidney) की बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाता है और इलाज के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान दिया जाता है।

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World Kidney Day : अस्वस्थ आहार बच्चों में किडनी की बीमारी का कारण बन रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में ज्यादा नमक और चीनी वाला खाना खाने से उनकी किडनी खराब हो रही है। हर साल 14 मार्च को विश्व किडनी दिवस (World Kidney Day) मनाया जाता है। इस दिन लोगों को किडनी से जुड़े रोगों के प्रति जागरूक किया जाता है और इलाज की सुविधाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया जाता है।

इस साल का विषय है "सभी के लिए किडनी का स्वास्थ्य - देखभाल और इलाज तक समान पहुंच सुनिश्चित करना।"

फास्ट फूड ज्यादा खाना किडनी की बीमारी का कारण Eating too much fast food causes kidney disease

अस्वस्थ आदतें जैसे फास्ट फूड ज्यादा खाना, व्यायाम ना करना आदि भी किडनी की बीमारी का कारण बन रहे हैं। इन आदतों से हाई ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमारियां भी होती हैं, जो किडनी को और खराब कर देती हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में किडनी की बीमारी बढ़ रही है। इसका एक कारण उनका गलत खानपान है, जिसमें डिब्बाबंद खाना, जंक फूड, ज्यादा नमक और चीनी वाली चीजें शामिल हैं। ये आदतें बच्चों के पूरे स्वास्थ्य को खराब करती हैं, जिससे मोटापा और शुगर जैसी बीमारियां हो सकती हैं, जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं।

धूम्रपान और शराब पीने से भी किडनी की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है Smoking and drinking alcohol also increases the risk of kidney disease.

बेंगलुरु के नारायण हेल्थ सिटी की बाल किडनी रोग विशेषज्ञ अखिला वसंथ हसन का कहना है कि बच्चों में पथरी की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है। इसकी वजह ज्यादा नमक और प्रोटीन खाना, मोटापा और शरीर में जरूरी चीजों की कमी है।

गंभीर स्थिति में क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) भी बच्चों को हो सकती है। यह वह बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे किडनी खराब होती चली जाती है।

मां के पेट में ही पता चल जाता है कि बच्चे को किडनी की समस्या होगी it is known in the mother's womb that the child will have kidney problems.
पून के सूर्या मदर एंड चाइल्ड सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की बाल किडनी रोग विशेषज्ञ मधुरा फडनिस खराडकर का कहना है कि करीब 60 फीसदी मामलों में जन्म से पहले मां के अल्ट्रासाउंड में ही पता चल जाता है कि बच्चे को किडनी की समस्या हो सकती है। ऐसे मामलों में जन्म के एक हफ्ते के अंदर ही बच्चे का अल्ट्रासाउंड करवाना जरूरी होता है ताकि इलाज जल्दी शुरू किया जा सके।

डॉक्टरों का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए बच्चों को नियमित व्यायाम करवाना, पर्याप्त पानी पिलाना, ज्यादा फल और सब्जियां खिलाना और डिब्बाबंद व जंक फूड कम देना चाहिए। इससे उनकी किडनी और उनका पूरा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।