चीजें दूर रखें : माता-पिता बच्चे के आसपास रखी चीजों को व्यवस्थित रखें क्योंकि कई बार बच्चे किसी भी चीज को उठाकर खुद को या मसूड़ों को नुकसान पहुंचा लेते हैं।
मसूड़े : ब्रेस्ट फीडिंग या बॉटल से दूध पिलाने के बाद एक अंगुली में साफ, मुलायम और गीला कपड़ा लपेटें और उसके मसूड़े पर हल्का सा रगड़ें। दिन में ऐसा एक बार करें। इससे उसके मुंह से किसी तरह की दुर्गंध नहीं आएगी।
होम्योपैथिक इलाज : जब बच्चों के दांत निकलने वाले होते हैं तो उन्हें बायोकॉम्बिनेशन 21 दी जाती है। यह आयरन और कैल्शियम का मिश्रण होती है। कैल्शियम दांतों की वृद्धि और आयरन सूजन व खुजली को दूर करता है।
आयुर्वेदिक इलाज : विशेषज्ञ डॉ. महेश चंद शर्मा के अनुसार बच्चे के मसूड़े पर दिन में दो से तीन बार शहद लगाएं। बालचक्रभद्र (पाउडर) दवा को एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में दो बार बच्चे को देने से उसे खुजली की समस्या नहीं होती। हर्विंदासव टॉनिक को दिन में दो से तीन बार दो चम्मच दी जाती है।
कब कराएं ब्रश : दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश भारद्वाज के अनुसार जब बच्चा कम उम्र का हो तो दूध या कुछ भी खाने के बाद उसे कुल्ला कराकर मुंह की सफाई करानी चाहिए। दो साल की उम्र तक बच्चे के दांत पूरी तरह से आ जाते हैं इसलिए इस समय से ही उन्हें ब्रश करवाना शुरू कर देना चाहिए। अगर बच्चे के दांत समय रहते नहीं आएं तो डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि कई बार आनुवांशिक कारणों या कुपोषण के कारण ऐसा होता है।