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रोग और उपचार

गंभीर रोगों में सर्जरी की मदद से होती कम समय में रिकवरी

आमतौर पर चेहरे के दाग-धब्बे और अनचाहे बालों को हटाने के लिए जानी जाने वाली लेजर थैरेपी का इस्तेमाल अब गंभीर बीमारियों के इलाज में भी हो रहा है। इनमें कैंसर, किडनी स्टोन, प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने की समस्या, आंखों की रोशनी बढ़ाना आदि है। अन्य थैरेपी के मुकाबले इसमें दर्द, सूजन और धब्बे पडऩे की आशंका कम रहती है।

जयपुरJun 05, 2019 / 10:14 am

Jitendra Rangey

Laser therapy

गंभीर रोगों में सर्जरी की मदद से होती कम समय में रिकवरी

यह है थैरेपी
लेजर का पूरा नाम लाइट एम्प्लिफिकेशन बाय स्टिमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन है। ये विशेष प्रकार की किरणें हैं जो सिलेक्टिव फोटोथर्मोलिसिस सिद्धांत पर काम करती हैं। इसमें प्रभावित हिस्से पर एक प्रोब (उपकरण) के माध्यम से तय फ्रीक्वेंसी की किरणें डालते हैं। फ्रीक्वेंसी कितनी हो, यह मर्ज पर निर्भर करता है। ये किरणें गरम होकर प्रभावित हिस्से को जला देती हैं। इससे न तो आसपास की कोशिकाओं को नुकसान होता है व न ही मरीज को जलन होती है। मरीज की किडनी में स्टोन होने पर लेजर प्रोब से स्टोन को जला देते हैं। जले अवशेष को मशीन में लगे सक्शन प्रोब से निकाल लिया जाता है। इसका असर तुरंत मरीज को महसूस होता है।
लेजर थैरेपी की सुविधा फिलहाल देश के मेट्रो शहरों में उपलब्ध है। लेकिन बाकी जगह के लोग धीरे-धीरे इसके प्रति जागरूक हुए हैं।
ये ध्यान रखें
हालांकि इस थैरेपी के साइड इफेक्ट नहीं होते हैं लेकिन एक्सपर्ट सावधानी बरतने की सलाह देते हैं
थैरेपी लेने के बाद कुछ दिनों तक सूर्य की किरणों से बचें।
आंखों से जुड़ी समस्याओं के निदान के बाद धूल-धुएं और गंदे पानी से बचें। इनसे इंफेक्शन होने की आशंका रहती है।
फायदे
ब्लीडिंग व दर्द कम।
हिस्से पर निशान नहीं पड़ते।
ऑपरेशन में कम समय लगता है।
अनुभवी डॉक्टर जरूरी
लेजर थैरेपी से इलाज कराने में अन्य थैरेपी की तुलना में कम रिस्क रहता है। कुछ केस में लापरवाही के कारण मशीन से संक्रमण/ट्रीटमेंट के दौरान स्किन बर्न हो जाती है। यह थैरेपी अनुभवी डॉक्टर से ही कराएं।
रिकवरी टाइम 2-4 घंटे
ट्रेडिशनल सर्जरी में 8-10 दिन में रिकवरी होती है लेकिन लेजर में जल्दी आराम होता है। इसमें शरीर पर छोटा चीरा लगता है। २-४ घंटे की देखरेख के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर देते हैं। सर्जरी के बाद रोग के पुनरावृत्ति की आशंका कम रहती है।
डॉ. आर.एस. खेदड़, वरिष्ठ फिजिशियन

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