महिलाएं जननांगों से जुड़ी किसी भी तकलीफ को छुपाने में समय न व्यर्थ करें। इससे सिर्फ रोग बढ़ता है जो मौत की एक वजह है। घर के अन्य सदस्य भी उनकी गिरती हुई सेहत को लेकर सतर्क रहें। सेहत में यदि कोई परिवर्तन हो रहा है तो खुलकर बात करें।
रोग होने के बाद महिला मानसिक रूप से कमजोर हो जाती है। परिजनों व समाज के अन्य लोगों का सहयोग उसे मानसिक रूप से मजबूत बनाने में मददगार होता है।
10 – 26 वर्ष की उम्र के बीच की महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन लगवानी चाहिए। कुछ मामलों में 45 की उम्र के बाद भी ये वैक्सीन लगाई जा सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि यौन संबंध से पहले यह वैक्सीन लड़की को लग जाए तो सर्वाइकल कैंसर से बचाव संभव है।