यह बीमारी शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी के कारण होती है। हमारे शरीर को सबसे अधिक ऊर्जा शुगर या स्टार्च से मिलती है लेकिन शुगर या स्टार्च को ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले इंसुलिन की शरीर में कमी हो जाने से शुगर या स्टार्च खून में जमा होने लगता है और यह डायबिटीज का कारण बन जाता है। इसी को टाइप 2 डायबिटीज कहते हैं यानी डायबिटीज मीठा ज्यादा खाने से होने वाली बीमारी नहीं है। अगर परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज हो तो इस रोग की आशंका बढ़ जाती है।
कई बार डायबिटीज से मिलते-जुलते लक्षण जैसे ज्यादा प्यास लगना, थोड़ी- थोड़ी देर में पेशाब आना और कम काम करने या न करने पर भी थकान महसूस होने जैसे लक्षण पाएं जाते हैं। वैसे जो लोग नियमित रूप से रात में छह घंटे से कम की नींद लेते हैं या उन्हें सोने में परेशानी होती है, वे भी प्री डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं। त्वचा पर गहरे और काले धब्बे बन सकते हैं।
यदि परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज है तो ऐसे हर दो व्यक्ति में से एक को दस साल में डायबिटीज होने की आशंका रहती है। यदि आपने ऐसे बच्चे को जन्म दिया है जिसका वजन ४ किलो से ज्यादा है तो उसे प्री डायबिटीज हो सकती है। आपकी उम्र 45 से ज्यादा है व अधिकतर समय बैठकर गुजरता है तो टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है।
– खाली पेट ग्लूकोज का स्तर 100 से 125 मि.ग्रा.
– भोजन के 2 घंटे बाद ग्लूकोज का स्तर 140 से 190 मि.ग्रा.
– कमर के आसपास जमा चर्बी पुरुष 90 से.मी./ महिला 80 से.मी.)
– लगातार ज्यादा ब्लड प्रेशर या रक्त में कोलेस्ट्रॉल
– जिनके परिवार में डायबिटीज है, उनमें से हर दूसरे व्यक्ति को 10 साल में मधुमेह की आशंका
– भोजन कम करें, सब्जी, जौ, चने, गेंहू, बाजरे की रोटी, हरी सब्जियां और दही पर्याप्त मात्रा में लें।
– चना और गेहूं मिलाकर उसके आटे की रोटी खाना बेहतर है। इसके लिए दोनों का अनुपात 1:10 का रख सकते हैं।
– अपना वजन कंट्रोल करें और नियमित व्यायाम करें।
– 45 मिनट हर रोज एक्सरसाइज करें। हल्का व्यायाम करें, रोजाना सुबह 4-5 किलोमीटर वॉक करें।
– तले-भुने खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
– छोटी-मोटी चिंता, तनाव, बेचैनी या अवसाद से मुक्तरहें। अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज में हिस्सा लें। साथ ही ध्यान, योगा और प्राणायाम की मदद लें।
– तीन माह में एक बार ब्लड शुगर की जांच कराएं और साल में एक बार अपने डॉक्टर की सलाह से लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाएं।