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डूंगरपुर

डूंगरपुर : मूर्तियों की निकाली शोभायात्रा

रुद्राणी माता मंदिर शिखर, गणपति व भैरव मूर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव

डूंगरपुरNov 22, 2016 / 07:54 pm

Ashish vajpayee

Dungarpur: procession of the idol out

Dungarpur: procession of the idol out

वागड़ क्षेत्रीय भावसार समाज की ओर से मसानिया तालाब की पाल पर स्थित रुद्राणी माता मंदिर के पंच कुण्डयात्मक देवी याग एवं रुद्राणी माता मंदिर शिखर, गणपति एवं भैरव मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार सुबह 9 बजे मंदिर परिसर में विविध धार्मिक अनुष्ठान हुए।
प्रवक्ता मुकेश भावसार ने बताया कि आचार्य विनोद त्रिवदी के सान्निध्य में पांचों कुंडो में यजमानों ने मंत्रोचार के साथ स्थापित देवता पूजन, अग्निस्थापन विधान किया। मुरलीधर मंदिर में विप्र भुवनेश त्रिवेदी व संजय पाठक के सान्निध्य में कुटीर हवन के मुख्य यजमान अरुणा हेमंत भावसार ने प्राण प्रतिष्ठित होने वाली गणपति व भैरव मूर्ति, शिखर, ध्वजादण्ड की पूजा-अर्चना कर यज्ञ का आह्वान किया।
महंत-संतों का मिला आशीर्वाद

दोपहर में रामधाम मेड़ता महंत आचार्य रामकिशोर महाराज, झाबुआ के महंत ध्यानीराम महाराज और संत उत्तमराम, रामप्रकाश, दयाराम के सान्निध्य में मूर्तियों की शोभायात्रा एवं जलयात्रा सलाटवाड़ा, खोडियार माता मंदिर, चन्द्रप्रभु मंन्दिर, शुुक्लवाडा, कंसारा चौक, मांडवी चौक से सोनी समाज मन्दिर पहुंची। कलशों में जल भर शोभायात्रा पोल का कोठा, मोचीवाड़ा, घांचीवाड़ा, मस्जिद होते रुद्राणी माता मंदिर पहुंची।
जयकारों के बीच विशेष कलश के यजमान स्वर्णकलश लक्ष्मीदेवी सूरजमल, रजत कलश के माधवी रमाकान्त, ताम्र कलश के उर्मिलादेवी कान्तिलाल, मिश्रित धातु कलश के पूनम मोहित भावसार और 251 कलशों, गाजे-बाजे व जयकारों के साथ शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा में शामिल महिलाओं ने केसरी साड़ी व पुरुषों ने पुरुष केसरी श्वेत परिधान पहने थे। मातारानी के तीनों दिवसों के विशेष शृंगार में सोमवार के संजय-मदनमोहन भावसार एवं मंगलवार के हंसमुख-जवेरचन्द भावसार यजमान रहे। शोभायात्रा में वागड़ सहित मुंबई और छत्तीसगढ़ से भी श्रद्धालु सम्मिलित हुए।
मूर्ति प्रतिष्ठा आज

प्रवक्ता मुकेश भावसार के अनुसार बुधवार को स्थापित देवता पूजन, प्रासाद स्नयन, जलाधिवास, मूर्ति न्यास, शान्तिक पौष्ठिक हवन, शिखर, ध्वजदंड, मूर्ति प्रतिष्ठा, पूर्णाहुति, महाआरती, महाप्रसाद और धर्मसभा होगी। मूर्ति प्रतिष्ठा दोपहर 1 बजे एवं अपराह्न पूर्णाहुति होगी।
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