बिलड़ी सरपंच बद्री कटारा ने कहा कि जलदाय राज्यमंत्री के क्षेत्र में एक हैंडपंप लगाने के लिए एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता है क्या..? एक अन्य सदस्य ने भी विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि भाटपुर क्षेत्र में हैण्डपंप लगाए जाने पर विभाग ने अपने स्तर पर ही सर्वे कर ली तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बात तक नहीं की। वहीं, एक सदस्य ने विभाग की ओर से खोदे गए कुंओं के स्थान एवं उपयोगिता पर भी निशाना साधा। बैठक में अन्य विभागों के मुद्दे भी उठे।
डीलर नहीं देते रसीद बैठक में रसद विभाग भी सदस्यों के निशाने पर रहा। जिला प्रमुख वरहात ने कहा कि राशन डीलर पोस मशीन से निकलने वाली रसीद नहीं दे रहे हैं। इस पर प्रवर्तन निरीक्षक जोगेन्द्रसिंह ने कार्रवाई की बात कही। इस पर सदन से बड़ी संख्या में सदस्य खड़े हो गए तथा उनका कहना रहा कि एक-दो ऐसे नहीं है। गांवों में पोस मशीन पर अंगूठा लगवाया जाता है। पर, राशन का गेहूं 10-10 किलो तक कम दिया जा रहा है। जबकि, नियम है कि एक पर्ची उपभोक्ता को भी देनी है। रसद विभाग में बात की जाती है, तो वह दिखवा लेने की बात कह पल्ला झाड़ देता है। सदस्यों ने अधिकारियों एवं डीलरों के मध्य साठगांठ के भी खूब आरोप लगाए।
पहले कौन पर भी.. हुआ हंगामा सभा शुरू होते ही सबसे पहले महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक बोलने के लिए खड़ी हुई, तो सदस्यों ने कहा कि हमेशा पंचायतराज विभाग सबसे अंत में आभार की रस्म के लिए खड़ा होता है। हम भी पंचायत में बैठते हैं। ऐसे में पंचायत विभाग को पहले बुलवाया जाए। इस पर प्रधान, विधायक एवं सदस्यों में काफी देर तक बहस चली। संचालनकर्ता ने चिकित्सा विभाग को बुलाया। लेकिन, उस समय वहां से कोई प्रतिनिधि नहीं होने पर वापस आईसीडीएस को बुलवाया।
133 करोड़ के कार्यों का अनुमोदन विकास अधिकारी सुनीता परिहार ने 32 ग्राम पंचायतों में वर्ष 2018-19 के 133 करेाड़ के कार्यों को सदन के समक्ष अनुमोदन के लिए रखा। इस पर सदन ने स्वीकृति दी।
यह भी उठे मुद्दे पशुपालन विभाग की ओर से टीकाकरण की जानकारी दी गई। सदस्यों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हालात यह है कि पशुपालक पशुओं को वाहनों में जैसे-तैसे रखकर जिला मुख्यालय पर पहुंचते हैं। पशु चिकित्सक भी उन्हीं के पास जाते है, जो फीस देते हैं। टीकाकरण केवल कागजों में हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो पशु इकाइयां मृत प्राय: पड़ी हुई हैं। पटवार मण्डलों में पटवारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। खासकर जनकल्याण शिविरों में अनिवार्यत पूरा दिन रहे। बिना बिजली कनेक्शन के ही बिल आने की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए। विद्युत एवं गैस कनेक्शन नहीं मिलने तक केरोसिन की आपूर्ति बंद नहीं की जाए। पंचायत सहायकों का मानदेय पंचायत से होता है। जबकि, कार्य स्कूलों में कर रहे हैं। ऐसे में उनका बजट शिक्षा विभाग ही दे। राशन की दुकानों की पहुंच आम उपभोक्ता तक सुनिश्चित की जाए। कई जगह पांच-पांच किलोमीटर दूर राशन की दुकानें हैं। जबकि, कई जगह दो किलोमीटर में तीन-तीन दुकानें हैं।