10 रूपए से ज्यादा बढ़ गई पेट्रोल की कीमत
पेट्रोल-डीजल के भाव गत साल से इस वर्ष दस रूपए अधिक बढ़ गए है। जनवरी 2017 में पेट्रौल 72.39 रुपए व डीजल 61.72 रुपए था जो जनवरी 2018 में क्रमश: 77.18 रुपए व 69.73 रूपए बढ़ गया है।
पेट्रोल-डीजल के भाव गत साल से इस वर्ष दस रूपए अधिक बढ़ गए है। जनवरी 2017 में पेट्रौल 72.39 रुपए व डीजल 61.72 रुपए था जो जनवरी 2018 में क्रमश: 77.18 रुपए व 69.73 रूपए बढ़ गया है।
चलाना छोड़ दिया दुपहिया वाहन
दामडी गांव के सुखलाल मनात ने गाड़ी चलाना ही छोड़ दिया। सुखलाल गांव से शहर के फुटपाथ पर व्यापार करने पहले रोज दुपहिया वाहन से आवाजाही करता था। पेट्रोल खर्चं 60 रुपए होता था। जब यह 100 रुपए होने पर गाडी छोडकऱ बस में सफर करते हैं।
दामडी गांव के सुखलाल मनात ने गाड़ी चलाना ही छोड़ दिया। सुखलाल गांव से शहर के फुटपाथ पर व्यापार करने पहले रोज दुपहिया वाहन से आवाजाही करता था। पेट्रोल खर्चं 60 रुपए होता था। जब यह 100 रुपए होने पर गाडी छोडकऱ बस में सफर करते हैं।
रोज भरवाना पड़ता है डीजल
थाना गांव के दिनेश गमेती डीजल वाला डिजल वाला रिक्शा चलाते है। पहले हर दूसरे दिन डीजल भरवाते थे। अब हर रोज 200 रुपए का डीजल डलवाना पड़ रहा है।
16 दिन में 2560 रुपए का पेट्रोल
मशीन से गन्ने का रस निकालने वाले वीरजी पटेल पहले 12 दिन 1920 रुपए का पेट्रोल भरवाते थे। अब 16 दिन में 2560 रुपए का पेट्रोल डलवाना पड़ रहा है। खेरी गांव से मोपेड पर गन्ने लाने के लिए हर माह 400 रुपवए का खर्चां अब 550 रुपए तक पहुंच गया है।
थाना गांव के दिनेश गमेती डीजल वाला डिजल वाला रिक्शा चलाते है। पहले हर दूसरे दिन डीजल भरवाते थे। अब हर रोज 200 रुपए का डीजल डलवाना पड़ रहा है।
16 दिन में 2560 रुपए का पेट्रोल
मशीन से गन्ने का रस निकालने वाले वीरजी पटेल पहले 12 दिन 1920 रुपए का पेट्रोल भरवाते थे। अब 16 दिन में 2560 रुपए का पेट्रोल डलवाना पड़ रहा है। खेरी गांव से मोपेड पर गन्ने लाने के लिए हर माह 400 रुपवए का खर्चां अब 550 रुपए तक पहुंच गया है।
जेब खर्च जाता है पेट्रोल में
सौरभ कामरा बताते हैं कि पहले पापा से मिलने वाला जेब खर्चं का पैसा बच जाता था। अन्य काम में उपयोग आता था। पेट्रोल के भाव बढऩे से वह राशि दुपहिया वाहन की टंकी में चली जाती है। अब ज्यादा बाइक चलाना छोड़ दिया है। पापा के साथ दुकान पर बैठकर उनकी मदद करता हूं।
सौरभ कामरा बताते हैं कि पहले पापा से मिलने वाला जेब खर्चं का पैसा बच जाता था। अन्य काम में उपयोग आता था। पेट्रोल के भाव बढऩे से वह राशि दुपहिया वाहन की टंकी में चली जाती है। अब ज्यादा बाइक चलाना छोड़ दिया है। पापा के साथ दुकान पर बैठकर उनकी मदद करता हूं।