आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड स्थित जेम्स कुक युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दक्षिणी ग्रेट बैरियर रीफ के हेरॉन द्वीप में 60 रेड थ्रोट एंपरर मछलियों को चिन्हित किया। मछलियों पर ट्रांसमीटर लगाए गए जिसने उनकी व्यक्तिगत रूप से पहचान की और द्वीप के चारों ओर लगाए गए एक रिसीवर तंत्र को उनकी गहराई के बारे में संकेत दिया।
अनुसंधान के दौरान सालभर तक मछलियों पर नजर रखी गई, जिसमें पाया गया कि मछलियां गर्म दिनों में न के बराबर समुद्र की सतह पर होती हैं। शोधकर्ताओं ने मछलियों के स्थान परिवर्तन के कारणों के रूप में तापमान, हवा का दबाव, बारिश, हवा और चंद्रमा की अवस्थाओं पर विचार किया। लेकिन पाया कि रेड थ्रोट एंपरर मछली का खास अंतरसंबंध तापमान से था।
प्रमुख शोधकर्ता लीन करी ने कहा कि अध्ययन में मत्स्य जीव विज्ञान पर महासागर के गर्म होने के प्रभाव पर गौर किया गया। उन्होंने कहा, यह व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण मछली हैं और हम इसके गहराई में जाने की स्थितियों का अध्ययन कर रहे हैं। यह निष्कर्ष कोरल रीफ्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।