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Ketlee Kulture: ISRO की नौकरी छोड़ चाय बेचने लगा ये शख्स, जानते हैं क्यों?

इसरो की नौकरी छोड़ चाय बेचने लगा ये शख्स, जानते हैं क्यों?

Feb 17, 2018 / 05:03 pm

dilip chaturvedi

rambhai kori

rambhai kori

एक बार फिर वही बात कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता…यदि कुछ मायने रखता है, तो वह है इंसान की नीयत। जी हां, यदि नीयत अच्छी है…जोश है, जुनून है, लगन है, तो कोई भी काम आपको बुलंदियों पर बैठा सकता है…शोहरत दिला सकता है…। खैर, अब जब एक चाय बेचने वाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है, तो इसरो में काम करने वाला शख्स चाय क्यों नहीं बेच सकता। आज यहां हम एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो काफी पढ़ा-लिखा है। वह कभी इसरो में जॉब भी करता था, लेकिन उसके साथ एक ऐसी घटना घटी, जिसने उसे चाय बेचने के लिए प्रेरित किया। ये हैं रामभाई कोरी, जो चाय बेचकर फेमस हो गए हैं।

बता दें कि ये कहानी है आईआईएम अहमदाबाद की है, जहां रामभाई कोरी काफी लंबे समय से चाय बेच रहे हैं। खास बात यह है कि रामभाई की कहानी इनती प्रेरणादायक है कि उनके ऊपर आईआईएम के स्टूडेंट्स ने स्टडी तक कर डाली है और उसे अपने प्रोजेक्ट में शामिल किया है। अब हम आपको बताते हैं कि रामभाई के दिमाग में चाय की दुकान का आइडिया कैसे आया? क्यों आया? कब आया? वाकया बहुत मजेदार है और ये अक्सर ऐसे वाकये लोगों के साथ होते रहते हैं, लेकिन रामभाई ने इस वाकये से कुछ कर गजरने की ठानी। दरअसल, हुआ ये कि रामभाई को स्मोकिंग का शौक था। उस जमाने में वो बीड़ी पीते थे। वो बीड़ी की तलाश कर रहे थे, लेकिन उन्हें कोई दुकान नहीं मिली। वाकया बेशक थोड़ा अजीबो-गरीब है, लेकिन आज वो अपने इसी जुनून की वजह से चर्चित हैं।

चाय बेचने का फैसला उनका खुद का था। जब उन्होंने चाय की दुकान खोली, तो उन्हें नहीं पता था कि ये चलेगी या नहीं, लेकिन देखते-देखते उनकी चाय का स्वाद आईआईएम के स्टूडेंट्स के साथ-साथ फैकल्टीज तक की जुवां पर चढ़ गया। अब उनका स्टूडेंट्स के साथ फैकल्टी तक से बेहद प्यारा रिश्ता बन गया है। यहां जो भी बाहर से फैकल्टी या सेलिब्रिटी आती है, रामभाई की चाय की चुस्की लिए बिना नहीं जाती।

वेबसाइट लॉजिकल इंडियन के अनुसार, वो 1962 में अहमदाबाद आए थे और उन्होंने पढ़ाई के बाद टेक्निकल डिप्लोमा का कोर्स किया था। उसके बाद उन्होंने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्जेनाइजेशन (इसरो) में काम किया, लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। उसके बाद उन्होंने अपना बिजनेस खोलने की सोची और वो कामयाब नहीं हो सके।

उल्लेखनीय है कि आईआईएम के स्टूडेंट्स ने उन पर स्टडी की और उन्हें प्रोफेसर की कुर्सी पर भी बैठाया। साथ ही बच्चों और अधिकारियों ने उनके लिए चाय की दुकान व्यवस्था भी की। बच्चों ने उनके नाम पर एक वेबसाइट भी बनाई है और वो लगातार उनकी मदद करते रहते हैं।

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