मई 2015 से मृतक मां की जगह अनुकंपा नियुक्ति के लिए सिद्धार्थ नगर की युवती अब तक भटक रही है। उन्होंने सूचना का अधिकार के तहत निगम में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों की सूची निकाली और पड़ताल की। इसमें उनसे जूनियर 3 लोगों को निगम प्रशासन द्वारा नियुक्ति दे दिए जाने का मामला सामने आया।
सूची की पड़ताल में मृत कर्मी की जगह उसकी विवाहित पुत्री को भी नियुक्ति दे देने का मामला सामने आया है। नियम के अनुसार विवाहित पुत्री को आश्रित नहीं माना जा सके। सूत्रों की माने तो 17 अगस्त 2016 को मृत कर्मी चतुर राम की विवाहित पुत्री प्रीति को नियुक्ति दे दी गई। जबकि उनसे 13 सीनियर अभी भी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
इसी तरह सीनियरों को दरकिनार कर दो और जुनियरों को नियुक्ति दे देने का मामला सामने आया है। दो मृत कर्मियों मंगलू निषाद (मृत्यु 7 अप्रैल 2016) के बेटे भीमराव निषाद और देवा ( मृत्यु 2017) की पत्नी को भी नियुक्ति दी गई है। जबकि इनसे करीब आधा दर्जन सीनियर अब भी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
नियमानुसार किसी भी परिवार में एक से अधिक सरकारी कर्मचारियों की मौत के बाद भी किसी एक आश्रित को ही नियुक्ति देने का प्रावधान है, जबकि नगर निगम में एक ही परिवार के पति-पत्नी की मृत्यु पर उनके बेटे सुधीर गोईर और विवाहित पुत्री प्रीति गोईर को नियुक्ति दी गई है। खास बात यह है कि दोनों अन्य आवेदनकर्ताओं से काफी जूनियर हैं।
खास बात यह है क मामले की जांच व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाए निगम के जिम्मेदार अफसर स्थानीय स्तर पर पद स्वीकृत नहीं होने शासन स्तर पर नियुक्ति आदेश का हवाला देकर बचाव की कोशिश कर रहे हैं। जबकि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में रिक्त पद के अनुसार सीनियारिटी के आधार पर स्थानीय स्तर पर नियुक्ति का प्रावधान है। इस मामले में दुर्ग महापौर धीरज बाकलीवाल ने बताया कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए शासन का गाइड लाइन तय है। सीनियरों को पहले नियुक्ति दिया जाना चाहिए। मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। किसी ने मेरे पास इसकी शिकायत भी नहीं की है। ऐसा है तो यह गलत है। इसकी पड़ताल कराई जाएगी। शासन के संज्ञान में लाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।