घटना के बाद महिला की शिकायत पर पुलिस ने केवल मारपीट का अपराध दर्ज कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया है। लज्जाभंग की नीयत से महिला के कपड़े फाडऩे की शिकायत पर पुलिस ने जांच नहीं की और महिला को न्यायालय जाने की सलाह दे दी।
छेडख़ानी, दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट के प्रकरणों की सुनवाई के लिए पृथक से कोर्ट है। यह प्रकरण भी फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा। न्यायिक मजिस्ट्रेट बरखारानी कसार ने प्रकरण को मार्गदर्शन के लिए सीजेएम कोर्ट में स्थानंतरित कर दिया है।
यह है मामला
बीएसपी के अधिकारी व कर्मचारी 25 अप्रैल 2014 को जोनल मार्केट सेक्टर-१० में बेजा कब्जा हटाने गए थे। शॉप नं. १५४ में तोडफ़ोड़ करते समय विवाद हो गया। मारपीट की स्थिति निर्मित हो गई। मारपीट के दौरान ही पीडि़त महिला बीच बचाव करने पहुंची थी।
न्यायाधीश ने सुनवाई में कहा कि मारपीट की घटना में आरोपियों के खिलाफ अभियोग पत्र प्रस्तुत किया जा चुका है। इसलिए एक घटना के लिए दो बार विचारण करना संभव नहीं है। आरोपियों ने महिला का लज्जा भंग करने की नीयत से कपड़े फाड़े। महिला के शरीर का ऊपरी हिस्सा बेपर्दा हो गया था। इसलिए जुर्म दर्ज कर मुकदमा चलाने के आदेश दिए।