रिस्क के मूड में नहीं सरकार
अफसरों की मानें तो इस बार सरकार बारदाने की कमी के कारण खरीदी बीच में प्रभावित हो, यह रिस्क लेने के मूड में नहीं है। इसीलिए पहले से ही किसानों को पुराने बारदाने का विकल्प दिया जा रहा है। बता दे कि पिछले साल बारदाना नहीं मिलने के कारण कई केंद्रों में धान खरीदी बंद करने की नौबत आ गई थी। यहां तक कि दूसरे उपयोग के प्लास्टिक बारदानों में खरीदी के बाद भी संकट बरकरार रहा।
30 लाख बारदानों की कमी
जिले में इस बार 41 लाख क्विंटल से ज्यादा धान खरीदी की संभावना है। इन्हें खरीदने के लिए सरकार को कम से कम 1 करोड़ बारदानों की जरूरत होगी। अधिकारियों के मुताबिक इस बार केवल 30 लाख नए बारदाने केंद्र से मिले हैं। वहीं करीब 40 लाख बारदाने पीडीएस और मिलर्स से प्राप्त हुए हैं। ऐसे में अभी भी 30 लाख बारदानों की कमी है। सरकार केंद्र पर आश्रित रहने के बजाए किसानों से इस कमी की भरपाई के मूड में है।
पिछली बार का नहीं मिला किसानों को पैसा
पिछली बार भी संकट होने पर इसी तरह किसानों से पुराने बारदाने लेकर धान की खरीदी की गई थी। तब किसानों को इसके एवज में निश्चित राशि भुगतान करने का भरोसा दिलाया गया था। इस पर भरोसा कर किसानों ने खुद के सारे बारदाने केंद्रों को दे दिए, लेकिन इन बारदानों का भुगतान अब तक किसानों को नहीं हो पाया है। ऐसे में किसान बारदाना कहां से लाएंगे और भुगतान कब मिलेगा इसे लेकर सवाल उठाया जा रहा है।
फिर बढेगी बारदानों की कालाबाजारी
पिछले साल धान खरीदी के दौरान बारदानों की जबरदस्त कालाबाजारी हुई। बारदाना संकट के बाद इसके विक्रेताओं ने सारे बारदाने दबा लिए और किसानों को ज्यादा कीमत पर बेचना शुरू कर दिया। हालात यह रहा कि पुराने व फटे बारदाने भी 35 से 50 रुपए प्रति नग तक बेचे गए। जबकि यहीं बारदाने 5 से 15 रुपए तक बाजार में सामान्य दिनों में उपलब्ध हो जाते हैं।