तुकेश्वरी को 30 मई को जिला अस्पताल के एमसीएच यूनिट में भर्ती कराया गया था। सोनोग्राफी से स्पष्ट हो चुका था गर्भ में जुड़वा बच्चा पल रहा है। समय पूरा नहीं होने और प्रसव दर्द होने से डॉक्टर इसे हाई रिस्क मान रहे थे। डॉ. स्मिता व स्टाफ नर्स ने परिस्थियों को देखते हुए रेफर करने के बजाय यहीं प्रसव कराने का निर्णय लिया। शाम 5.30 बजे तुकेश्वरी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। रात 8 बजे अचानक अत्यधिक रक्त स्त्राव होने लगा। केस क्रिटिकल हो गया।
खास बात यह है कि जिला अस्पताल में आईसीयू की सुविधा नहीं है। सर्व सुविधायुक्त अस्पताल कहे जाने वाले एमसीएच में ऐसा कोई भी उपकरण नहीं है जिसमें अंतिम समय में प्रसूताओं को रखकर उसकी जान बचाई जा सके। 24 मई को भी इसी तरह की विषम परिस्थितियों से डॉ. उज्जावला देवांगन, डॉ. विनिता धु्रर्वे व डॉ. उपासना को सामना करना पड़ा था। तब बेमेतरा की ललिता देवांगन की तबीयत प्रसव के बाद बिगड़ गई। अत्यधिक रक्त स्त्राव होने की वजह से डॉक्टर हिम्मत हारने लगे थे। इसके बाद भी डॉक्टरों ने प्रसूता को मौत के मुंह से वापस निकाला।