scriptइसलिए डॉक्टर को कहते हैं भगवान, जुड़वा बच्चों को जन्म देकर मां की रूक गई सांस तब महिला डॉक्टरों ने बेजान शरीर पर फूंक दी जान | Doctors of Durg District Hospital saved the life of mother and child | Patrika News
दुर्ग

इसलिए डॉक्टर को कहते हैं भगवान, जुड़वा बच्चों को जन्म देकर मां की रूक गई सांस तब महिला डॉक्टरों ने बेजान शरीर पर फूंक दी जान

जिला अस्पताल की टीम ने दो घंटे बाद राजनांदगाव जिले के ग्राम सराही निवासी तुकेश्वरी पति ज्वाला प्रसाद साहू की धड़कनों को वापस लाने में कामयाबी हासिल की। (Durg District hospital)

दुर्गJun 04, 2020 / 06:04 pm

Dakshi Sahu

इसलिए डॉक्टर को कहते हैं भगवान, जुड़वा बच्चों को जन्म देकर मां की रूक गई सांस तब महिला डॉक्टरों ने बेजान शरीर पर फूंक दी जान

इसलिए डॉक्टर को कहते हैं भगवान, जुड़वा बच्चों को जन्म देकर मां की रूक गई सांस तब महिला डॉक्टरों ने बेजान शरीर पर फूंक दी जान

दुर्ग. मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में स्टाफ नर्स और डॉक्टर उस समय हड़बड़ा गए जब स्वस्थ्य जुड़वा बच्चे को जन्म देने के बाद महिला का पल्स गिरने लगा और धड़कन बंद होने की स्थिति में पहुंच गई। डॉक्टरों के पास इतना समय भी नहीं था कि वे प्रसूता को हायर सेंटर रेफर कर सके । हौसला और प्रयास से जिला अस्पताल की टीम ने दो घंटे बाद राजनांदगाव जिले के ग्राम सराही निवासी तुकेश्वरी पति ज्वाला प्रसाद साहू की धड़कनों को वापस लाने में कामयाबी हासिल की।
क्रिटिकल केस था
तुकेश्वरी को 30 मई को जिला अस्पताल के एमसीएच यूनिट में भर्ती कराया गया था। सोनोग्राफी से स्पष्ट हो चुका था गर्भ में जुड़वा बच्चा पल रहा है। समय पूरा नहीं होने और प्रसव दर्द होने से डॉक्टर इसे हाई रिस्क मान रहे थे। डॉ. स्मिता व स्टाफ नर्स ने परिस्थियों को देखते हुए रेफर करने के बजाय यहीं प्रसव कराने का निर्णय लिया। शाम 5.30 बजे तुकेश्वरी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। रात 8 बजे अचानक अत्यधिक रक्त स्त्राव होने लगा। केस क्रिटिकल हो गया।
महिला का पल्स डाउन होने लगा। धड़कन भी साथ छोडऩे लगी। इसके बाद डॉक्टर बिना संसाधन और आवश्यक जीवन रक्षक दवाई के सहारे न केवल महिला की धड़कन को वापस लाने में कामयाब रही। वहीं रात कुछ ही देर बाद पल्स भी सामान्य हो गया। इसके बाद स्टाफ के चेहरे में रौनक आई। समय पूर्व प्रसव होने की वजह से जुड़वा बच्चों को एसएनसीयू में रखा गया है।
24 मई को भी बनी थी ऐसी ही स्थिति
खास बात यह है कि जिला अस्पताल में आईसीयू की सुविधा नहीं है। सर्व सुविधायुक्त अस्पताल कहे जाने वाले एमसीएच में ऐसा कोई भी उपकरण नहीं है जिसमें अंतिम समय में प्रसूताओं को रखकर उसकी जान बचाई जा सके। 24 मई को भी इसी तरह की विषम परिस्थितियों से डॉ. उज्जावला देवांगन, डॉ. विनिता धु्रर्वे व डॉ. उपासना को सामना करना पड़ा था। तब बेमेतरा की ललिता देवांगन की तबीयत प्रसव के बाद बिगड़ गई। अत्यधिक रक्त स्त्राव होने की वजह से डॉक्टर हिम्मत हारने लगे थे। इसके बाद भी डॉक्टरों ने प्रसूता को मौत के मुंह से वापस निकाला।

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