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दुर्ग

6 नालों की सफाई में 5 साल में एक करोड़ रुपए से ज्यादा हो गए खर्च, 7 साल में 4 लोगों की मौत

शहर के बीच से शंकर नाला सहित 6 बड़े नाले गुजरते हैं। इन नालों में बाढ़ अथवा जलभराव जैसी स्थिति से बचाव के लिए हर साल बारिश से पहले सफाई की जरूरत पड़ती है।

दुर्गJun 15, 2019 / 11:58 pm

Naresh Verma

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6 नालों की सफाई में 5 साल में एक करोड़ रुपए से ज्यादा हो गए खर्च, 7 साल में 4 लोगों की मौत

दुर्ग. शहर के बीच से शंकर नाला सहित 6 बड़े नाले गुजरते हैं। इन नालों में बाढ़ अथवा जलभराव जैसी स्थिति से बचाव के लिए हर साल बारिश से पहले सफाई की जरूरत पड़ती है। पिछले 5 सालों में नालों की सफाई में नगर निगम 1 करोड़ से ज्यादा खर्च कर चुका है, लेकिन नालों की स्थिति नहीं सुधरी है। हालात यह है कि ठीक से सफाई नहीं होने से उफान के कारण अकेले शंकर नाला 7 सालों में 4 लोग जान गवां चुके हैं। बारिश से पहले शंकर नाला, गिरधारी नाला, कसारीडीह नाला, केलाबाड़ी नाला, शक्ति नाला, पोटिया नाला की सफाई कराना होता है।इसके लिए चैन माउंटिंग मशीन और मैनुअल सफाई के लिए टेंडर कॉल किया जाता है। निगम प्रशासन इन नालों की सफाई में हर साल 15 से 20 लाख खर्च करती है। इसके अलावा निगम के कर्मियों से भी मेनुअल सफाई कराई जाती रही है। इस बाद भी लगभग हर साल लोगों को नालों में उफान का सामना करना पड़ता है।
पिछली बार भी हुई थी देरी
नालों के सफाई के टेंडर में पिछली बार भी इसी तरह देरी हुई थी। टेंडर मई के आखिर में बुलाया गया और प्रक्रिया पूरी कर वर्क ऑर्डर करने में 20 जून तक का समय लग गया था। इसके बाद आनन-फानन में 15 से 20 दिन ही सफाई का काम चल पाया था और प्री मानसून की बारिश शुरू हो गई थी। इससे कई नालों की सफाई ठीक से नहीं हो पाई थी।
बदला पैटर्न, इस बार रनिंग मीटर में भुगतान
पुराने अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार नालों की सफाई का पैटर्न बदला गया है। पहले एकमुश्त टेंडर दिया जाता था। इस बार रनिंग मीटर के हिसाब से भुगतान का प्रावधान कर 3 पार्ट में सफाई शुरू कराई गई है। इस बार अकेले शंकर नाला का 18 .50 लाख खर्च करने का प्रावधान रखा गया है। अन्य नालों के लिए करीब 17 लाख रुपए रखे गए हैं।
निगम का दावा, इस बार नहीं आएगी बाढ़
निगम द्वारा नालों की सफाई के मौजूदा पैटर्न के बाद बाढ़ का खतरा काफी कम हो जाने का दावा किया जा रहा है। अफसरों का कहना है कि पूरे नाले में मशीनें उतारकर तल से सफाई कराई जा रही है। विशेषकर डाउन स्ट्रीम में निकासी की व्यवस्था कराईजा रही है।नालों की ठीक से सफाई हो इसके लिए काफी पहले ही काम शुरू करा दिया गया है।
7 साल में डूबने से 4 की मौत
शंकर नाला के तेज बहाव में डूबने से पिछले 5 साल में 4 लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2014 में इसी तरह अचानक उफान की स्थिति में गिरधारी नगर के गोपाल यादव की डूब जाने से मौत हो गई थी। इससे पहले एक बच्चा भी सिंधी कालोनी में नाले में बह गया था। जिसकी बाद भी झाडिय़ों में लाश मिली थी।
पिछले साल की स्थिति से समझें हालात को
शंकर नाला
सफाई में खर्च – ८ लाख
दावा – बारिश से पहले ठेके पर नाले की सफाई, नाले के भीतर चेन माउंट उतारकर सफाई।
बारिश में यह हाल – शुरूआती बारिश में ही मालवीय नगर, शंकर नगर, पाटणकर कॉलोनी, दीपक नगर, गिरधारी नगर, सिंधी कालोनी से लेकर सभी निचली बस्ती में पानी भर गया। पानी निकासी के लिए लोग दूसरे दिन तक परेशान होते रहे।
केलाबाड़ी नाला
सफाई में खर्च – 3 लाख
दावा – निगम की निगरानी में ठेकेदार द्वारा सफाई। 15 से 20 कर्मचारियों के दो से तीन गैंग लगाकर तल से कचरा निकला।
बारिश में यह हाल – केलाबाड़ी व कसारीडीह नाले की भी सफाई ठीक से नहीं हुई।सारीडीह, केलाबाड़ी, सुभाष नगर व पद्मनाभपुर के कुछ हिस्सों में जलभराव की स्थिति बनी।
गिरधारी नाला
सफाई में खर्च – करीब 3 लाख
दावा – सघन बस्तियों के बीच भी ठेके पर कर्मचारी लगाकर सफाई।कचरे के साथआसपास की झाडिय़ों की भी सफाई।
बारिश में यह हाल – मैनुअली सफाई में कई जगहों पर नाली में उतरे बिना ही सफाई कर ली गई। शंकर नाला के निचले छोर पर दबाव के कारण समय पर पानी निकासी नहीं।
तितुरडीह- शक्तिनगर नाला
सफाई में खर्च – २.70 लाख
दावा – नाले के किनारे सघन व निचली बस्ती, इसे देखते हुएमेनुअल सफाई कराया गया। सफाई का काम करीब 20 दिन से ज्यादा।
बारिश में यह हाल – नाला एफसीआई गोदाम के पास समाप्त हो जाता है। यहां से पानी आगे जाने का रास्ता नहीं। धमधा नाका के पास कचरा जमा होने से पानी निकल पाया।
इस संबंध में निगम कमिश्नर सुनील अग्रहरि का कहना है कि शंकर नाला सहित दूसरे नालों में पिछले सालों की तरह स्थिति नहीं बनें इसके लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है। नए पैटर्न से आधी-अधूरी सफाई जैसी स्थिति भी नहीं रहेगी। अफसर निगरानी कर रहे हैं। बड़े नालों व छोटी नालियों की सफाई पर भी फोकस है। 

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