scriptये कश्मीर नहीं छत्तीसगढ़ है, जहां दिवाली के पहले फूलों के खेत हुए गुलजार, बाजार में हमारे गेंदे की बहार से खिले किसानों के चेहरे | faces of farmers blossomed due to the cultivation of marigold in CG | Patrika News
दुर्ग

ये कश्मीर नहीं छत्तीसगढ़ है, जहां दिवाली के पहले फूलों के खेत हुए गुलजार, बाजार में हमारे गेंदे की बहार से खिले किसानों के चेहरे

इन खेतों से हर दिन 4 से 5 क्विंटल सुनहरे गेंदे के फूल बाजार में पहुंच रहा है। त्योहार में यह डिमांड दोगुने यानि 8 से 10 क्विंटल प्रतिदिन तक पहुंचने की उम्मीद है।

दुर्गOct 31, 2021 / 12:08 pm

Dakshi Sahu

ये कश्मीर नहीं छत्तीसगढ़ है, जहां दिवाली के पहले फूलों के खेत हुए गुलजार, बाजार में हमारे गेंदे की बहार से खिले किसानों के चेहरे

ये कश्मीर नहीं छत्तीसगढ़ है, जहां दिवाली के पहले फूलों के खेत हुए गुलजार, बाजार में हमारे गेंदे की बहार से खिले किसानों के चेहरे

हेमंत कूपर@दुर्ग. कोरोना से छुटकारा का असर, इस बार दीवाली को लेकर बाजार में अलग ही उत्साह के रूप में देखा जा रहा है। फूलों की खेती करने वाले जिले के करीब एक हजार परिवारों ने भी इसी उम्मीद के साथ खेतों की क्यारियों में बीज रोपे थे। ये बीज अब पौधे बनकर गुलजार हो गए हैं। इधर बाजार में भी फूलों की अच्छी खासी डिमांड शुरू हो गई है। इन खेतों से हर दिन 4 से 5 क्विंटल सुनहरे गेंदे के फूल बाजार में पहुंच रहा है। त्योहार में यह डिमांड दोगुने यानि 8 से 10 क्विंटल प्रतिदिन तक पहुंचने की उम्मीद है। दूसरे फूलों की भी इतनी ही डिमांड बाजार में होने की संभावना जताई जा रही है।
1500 एकड़ में फूलों की खेती
दुर्ग जिले में सामान्य हालात में करीब 1200 किसान 1700 एकड़ में फूलों की खेती कर रहे थे। कोरोना काल कुछ किसानों ने बाजार नहीं होने के कारण इससे किनारा कर लिया था। वहीं कुछ ने रकबा कम कर लिया था, लेकिन इस बार बेहतर की उम्मीद करीब एक हजार किसान 1500 एकड़ में खेती कर रहे हैं। इनमें मोहलाई, टेमरी, चंदखुरी, महमरा, बेलौदी, भेड़सर, डांडेसरा, फेकारी के किसान शामिल हैं।
20 से 23 करोड़ का कोराबार
कोरोना से पहले सामान्य सीजन में 2144 मिटरिक टन से ज्यादा फूलों की पैदावार जिले में हो रही थी। इनमें गुलाब, रजनीगंधा जैसी कीमती और डिमांड वाले फूल भी थे। इन फूलों से किसानों और व्यापारियों के हाथों में 25 से 30 करोड़ आता है। इस बार तमाम विपरीत हालातों से निकलते हुए कम 20 से 23 करोड़ के कारोबार की उम्मीद की जा रही है।
ये कश्मीर नहीं छत्तीसगढ़ है, जहां दिवाली के पहले फूलों के खेत हुए गुलजार, बाजार में हमारे गेंदे की बहार से खिले किसानों के चेहरे
नागपुर-कलकत्ता पर निर्भरता हुई कम
जिले में स्थानीय बाडिय़ों के साथ नागपुर व कलकत्ता से भी फूल लाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में इन शहरों पर निर्भरता कम हुई है। अब गेंदा और गुलदाउदी की पूर्ति स्थानीय बाडिय़ों से हो जाती है। इसके अलावा रायपुर, राजनांदगांव, कवर्धा में भी इन फूलों की सप्लाई होती है। बड़े शहरों से गुलाब व रजनीगंधा जैसे कीमती फूल बहुतायत आते हैं।
10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार
जिले में करीब एक हजार छोटे-बड़े किसान फूलों की खेती कर रहे हैं। सामान्य स्थिति में खेतों में कम से कम 5 से 7 लोगों को रोजगार मिल जाता है। इसके अलावा परिवहन और बाजार के 3 से 5 लोगों को मिला दे तो एक किसान के माध्यम से कम से कम 10 लोगों को रोजगार मिलता है। इस तरह फूलों के कारोबार से जिले के करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिलता है।
फूलों की खेती ( पिछली बार)
142- हेक्टेयऱ में गेंदा (मेरीगोल्ड) की खेती
48 – हेक्टेयऱ में लगाई थी किसानों ने गुलाब की खेती
77 – हेक्टेयऱ में रजनीगंधा (ट्यूबरोस) की फसल
87 – हेक्टेयरं ग्लैडियोलस की खेती
25 – हेक्टेयर में क्राइसैंथिमम यानि गुलदाउदी की खेती
80 – हेक्टेयर में अन्य फूलों की खेती कर रहे थे किसान
391 – हेक्टेयर में किसानों ने लगाई थी फूलों की खेती
पिछली बार हुई थी फूलों की पैदावार
1095 – मिटरिक टन गेंदा
78 – मिटरिक टन गुलाब
344 – मिटरिक टन रजनीगंधा
200 – मिटरिक टन ग्लैडियोलस
315 – मिटरिक टन क्राइसैंथिमम यानि गुलदाउदी
112 – मिटरिक टन अन्य फूलों की हुई पैदावार
2144 – मिटरिक टन से ज्यादा हुई थी पिछले बार पैदावार
फूलों की खेती की अच्छी संभावना
फूल उत्पादक किसान, टेमरी (बड़े) भूपेश टांक ने बताया कि बाजार में इस बार फूलों की डिमांड अच्छी है। त्योहारी सीजन में यह डिमांड दोगुनी हो जाने की उम्मीद है। बाजार-व्यापार और देव स्थलों के खुल जाने से सामान्य दिनों में भी अच्छा कारोबार हो रहा है। कोरोना में किसानों ने अनिश्चितता के कारण खेती से किनारा कर लिया था, वे अब फिर फूलों की खेती की ओर लौट रहे हैं। जिले में फूलों की खेती में अच्छी संभावना है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो