यह है मामला
नगर निगम द्वारा लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के लिए और इसके बाद पर्यावरण संरक्षण को लेकर जाकरूकता संबंधी फ्लेक्स लगाए गए थे। तात्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा गिनती के फ्लेक्स लगाकर कई गुना ज्यादा फ्लेक्स के बिल आहरित कर लिया गया। इतना ही नहीं प्रिंङ्क्षटंग के लिए बाजार में प्रचलित कास्ट से 4 से 5 गुना ज्यादा राशि बिल बनाकर राशि आहरित कर लिया गया। इस तरह 40 लाख से ज्यादा के घपले का आरोप है।
निगम सभापति ने की थी शिकायत
निगम सभापति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि रिकॉर्ड में जितने फ्लेक्स बताए जा रहे हैं, उतने लगाए नहीं गए हैं। इस पर फ्लेक्स की जांच कराई गई। इसमें शिकायत सही पाई गई। जांच में फ्लेक्स की संख्या वास्तविक से ज्यादा बताकर निगम के खाते से राशि निकाल लिए जाने की भी पुष्टि हुई।
मशीन नहीं और प्रिंट कर लिया फ्लेक्स
जिन प्रिंटर्स के नाम के बिल जमा कराए गए हैं, उनके पास फ्लेक्स प्रिंटिंग की मशीन ही नहीं है। ऐसे में माना यह जा रहा है कि जिम्मेदारों ने फ्लेक्स प्रिंट कराया ही नहीं और प्रिंटिंग का फर्जी बिल लगाकर राशि निकाल लिया।
10 रुपए की जगह 40 रुपए में प्रिंटिंग
जांच में फ्लेक्स प्रिंटिंग के बिल में भी बड़ी गड़बड़ी पाई गई है। इस समय बाजार में औसत 10 रुपए प्रति वर्ग फीट की दर पर फ्लेक्स की प्रिंटिंग हो रही है, लेकिन निगम में जमा कराए गए बिल में 40 रुपए प्रति वर्ग फीट की दर से प्रिंटिंग कराया जाना बताया गया है।
अब जवाब नहीं तो एफआईआर
गड़बड़ी वाली अवधि में भिलाई सेक्टर-4 के सिंह कन्ट्रक्शन कंपनी द्वारा फ्लैक्स लगाने का कार्य किया गया है। इस पर जिम्मेदार मानते हुए कंपनी के अनिल सिंह व सुनील सिंह को 25 अक्टूबर को बिल बुक के साथ उपस्थिति के लिए नोटिस जारी किया गया था, लेकिन दोनों नहीं आए।
गड़बड़ी मिली है कार्रवाई होगी
निगम कमिश्रर इंद्रजीत बर्मन ने बताया कि प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी मिली है। कम फ्लेक्स लगाने व ज्यादा प्रिंट कास्ट के प्रमाण मिले है। इस पर ठेकेदार को नोटिस जारी किया गया है, लेकिन वह पक्ष रखने उपस्थित नहीं हो रहा। ठेकेदार को अंतिम नोटिस दिया जा रहा है। इस पर भी ठेकेदार उपस्थित नहीं हुआ तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।