सात गांव बने टापू, घरों में घुसा पानी
मंगलवार की दोपहर 3 बजे तक शिवनाथ का जलस्तर बढऩे का क्रम जारी रहा। इससे 6 गांव लगभग टापू बन गए। इसमें से तीन गांव खाड़ा, आलबरस और भोथली पानी से घिरने के साथ घरों में पानी भर गया। वहीं रूदा, चंगोरी, डांडेसरा व सहगांव के भी आवागमन के मार्ग में पानी भर गए। यहां भी कई घरों में पानी घुसने की शिकायत है। आलबरस के 40 परिवारों को नजदीकी गांव भरदा के स्कूल में ठहराना पड़ा।
आधे गांव ने किया रतजगा
शिवनाथ के तट से लगे महमरा के आबादी पारा में रात करीब साढ़े ग्यारह बजे पानी पहुंचना शुरू हुआ। यहां 30 से 35 कच्चे मकान है। यहां घरों में पानी घुस जाने से लोगों ने पड़ोसियों अथवा सामुदायिक भवन में आश्रय लिया। ग्रामीण जैसे-तैसे जरूरी सामान लेकर बाहर निकले। महमरा के सांस्कृतिक मंच व निषाद भवन में आधा सैकड़ा लोग रतजगा कर स्थिति का जायजा लेते रहे।
आधे दिन बाद निकाले गए 25 परिवार
आलबरस के बाड़ी और ईंट भट्टे से फंसे 25 लोगों को रेस्क्यू कर बोट के सहारे निकालना पड़ा। ये कर्मचारी सोमवार की रात से ही फंसे हुए थे। बाड़ी और ईंट भट्टे में इतनी तेजी से पानी भरा कि इन्हें निकलने का मौका नहीं मिला। मंगलवार की दोपहर लोगों को निकालने का काम शुरू किया गया। एसडीआरएफ की टीम ने इन लोगों को निकाला। इन लोगों को भरदा के स्कूल भवन में रखा गया है। इसके अलावा आलबरस के जिन घरों में पानी भरा है, उन्हें भी स्कूल में रखा गया है।
चंगोरी, डांडेसरा, निकुम में स्थिति खराब
शिवनाथ के तटीय ग्राम चंगोरी सोमवार की रात टापू में तब्दील हो गया। रात अचानक पानी बढ़ जाने से यहां भी कुछ लोग ईंट भ_े में फंस गए। इन लोगों को पूरी रात पानी के बीच रहकर बीताना पड़ा। यहां बस्ती में एक से डेढ फीट तक पानी पहुंच गया। सुबह ग्रामीणों ने उन्हें बाहर निकाला। डांडेसरा व निकुम के दोनों ओर आवागमन के मार्ग पर पानी भर गया।
पुलगांव के 75 लोग हटाए गए
शिवनाथ नदी से लगे पुलगांव के शिवनाथ पारा बस्ती में रात में ही पानी भरना शुरू हो गया था। लिहाजा यहां के लोगों को रात में निकलकर गुरूद्वारा और आसपास स्थिति बड़े होटल व मांगलिक भवनों के बरामदे में सहारा लेना पड़ा। यहां करीब 40 से 45 मकान है। इमें 4 से 5 फीट तक पानी भर गया। यहां के 75 लोगों को नजदीकी भवनों में ठहराया गया है।
शहर में भी घुसा पानी
शिवनाथ के बाढ़ ने गांवों में ही नहीं शहर के आसपास भी कहर बरपाया। पुलगांव बस्ती के कई आवासों को पानी भर जाने से नुकसान की भी खबर है। इसके अलावा महेश कालोनी, ऋषभ ग्रीन सिटी और गंजपारा के कई गलियों व घरों में पानी भर गया। इससे यहां के लोगों को रतजगा करना पड़ा। इसके अलावा पुलगांव नाले में उलट के कारण पूरा कैचमेंट एरिया लबालब हो गया।
2014 की याद हुई ताजा
शिवनाथ पर उफान नई बात नहीं है। वर्ष 2014 में लोगों को अतिवृष्टि के कारण बाढ़ का सामना करना पड़ा था। अचानक बाढ़ के चलते तब कई लोगों पानी में फंस गए थे। महमरा में फार्म हाउस में फंसे चार लोगों को हेलीकाप्टर से निकालना पड़ा था। इस बार समय रहते लोगों को बाहर निकाल लिए जाने के चलते स्थिति ज्यादा खराब नहीं हुई। इस बीच बारिश थम जाने से भी जल्द राहत की संभावना बढ़ गई है।
जलाशयों से घटाया पानी का दबाव
जलाशयों के कैचमेंट से पानी की आवक हो रही है। इसे देखते हुए सोमवार को 70 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इस बीच तांदुला व खरखरा भी छलक गया। इसे देखते हुए मंगलवार की दोपहर जलाशयों से पानी की मात्रा को कम कर दिया गया। मंगलवार की दोपहर मोंगरा से 8 हजार, घूमरिया से 1200 और सूखा नाला से 3 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। वहीं तांदुला से 12 हजार और खरखरा से 9 हजार क्यूसेक पानी छलक रहा है।