दो साल बाद भी कॉलेज में प्रवेश नहीं मिला तब परेशान होकर जागेश्वरी ने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी के तहत अपराध दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया है। सुपेला टीआई धर्मानंद शुक्ल ने बताया कि 25 मई 2016 को साहनी ने जागेश्वरी के पति नगर निगम कर्मी देवव्रत देवांगन से उनके कार्यालय में आकर संपर्क किया। उसने प्रबंधन कोटे से एमबीबीएस में प्रवेश का विश्वास दिलाया। 2 जून २०16 को 50 रुपए के स्टांप में इकरारनामा तैयार किया, जिसमें 2016-17 के शैक्षणिक सत्र में उक्त कॉलेज में मैनेजमेंट कोटा में एक सीट आरक्षित करने 25 लाख रुपए में सौदा हुआ। बतौर एडवांस 8 जून 2016 को एक लाख रुपए चेक के माध्यम से दिया।
साहनी जब एडमिशन नहीं करा सका तो बहाने बनाने लगा। जागेश्वरी से कहने लगा कि महाराष्ट्र के मेडिकल कॉलेज में बाहर के छात्रों को प्रवेश नहीं दिए जाने की रिट याचिका लगी हैं, जिस पर फैसला एक-दो दिन में आने की संभावना है। 3 अक्टूबर २०16 को बताया कि उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के बाहर के छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। अब कॉलेज में प्रवेश नहीं हो सकता।
देवांगन को 20 सितम्बर २०16 को मुंबई बुलाया। टिकट की व्यवस्था खुद की और होटल में ठहराया भी। दिन सुबह 9.30 बजे टेरेना मेडिकल कॉलेज ले गया। वहां राजीव रोशन तोमर के नाम के व्यक्ति से उसका परिचय कराया। जागेश्वरी ने जमा की गई रकम 5 लाख 80 हजार रुपए की रसीद मांगा। तब साहनी ने मनेंद्रगढ सरगुजा के एसबीआई से टेरेना मेडिकल कॉलेज के नाम से डीडी बनवाया। 23 सितम्बर २०16 को वाट्सऐप पर रसीद भेजा।
जागेश्वरी ने रकम वापस मांगा तो साहनी ने फिर झांसा दिया। ६ अक्टूबर २०१६ को लखनऊ के मेडिकल कॉलेज डीएमई में एडमिशन कराने काउंसलिंग के लिए ले गया। जागेश्वरी, पति देवब्रत और बेटी सेजल कार से लखनऊ पहुंचे। वहां दो दिन तक रूके रहे। संतोष ने बताया कि १५ अक्टूबर २०१६ तक एडमिशन की तारीख बढ़ा दी गई है। यहां के रियो, मायो, हिन्द इन तीनों में से किसी भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन हो जाएगा। वहां डॉ. नवीन से मिलाया। उसने कहा कि 11 लाख 30 हजार रुपए एक वर्ष के लिए जमा करा लिया।