मंदिर समिति के प्रमुख और पूर्व महापौर शंकरलाल ताम्रकार ने बताया कि सुबह मंदिर के सेवकों ने मंदिर में प्रवेश किया तब तक हनुमान जी चोला छोड़ चुके थे। वे अपने मूल स्वरूप में आ चुके थे। सेवकों ने न्यास समिति को इसकी सूचना दी। इसके बाद खबर पूरे शहर में फैल गई और मंदिर पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया। न्यास समिति की ओर से रूद्राभिषेक, चोलावंदन, पूजा पाठ दिनभर चलता रहा। वहीं चोला छोडऩे की धार्मिक घटना को देखने के लिए दूर-दूर से हनुमान भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं। एक सदी बाद हुई इस चमात्कारिक घटना की चर्चा पूरे छत्तीसगढ़ में है।
किल्ला मंदिर समिति के प्रमुख ताम्रकार ने बताया कि मंगलवार की सुबह 10 बजे हनुमान जी के छोड़े गए चोले का नगर भ्रमण का कार्यक्रम होगा। नगर भ्रमण किल्ला मंदिर से कंकालिन मंदिर, चंडी मंदिर, लंगूरवीर हनुमान मंदिर, राम जानकी मंदिर गांधी चौक, मोती काम्पलेक्स, बरई पारा, काशीराम चौक, लुचकी पारा, तकिया पारा, संतरा बाड़ी, धमधा नाका होते हुए धमधा, देवकर, बेमेतरा, नवागढ़, मुंगेली, कोटा, अमरकंटक, रीवा, मार्ग से प्रयागराज के लिए रवाना की जाएगी। 6 अक्टूबर को प्रयागराज में पूजा अर्चना के साथ चोला त्रिवेणी संगम में विसर्जित किया जाएगा। इस दौरान पूजा-पाठ का दौर लगातार जारी रहेगा।