यह है मामला
ऋण माफी की घोषणा के बाद पाटन के 15 सहकारी समितियों के करीब 1631 किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्षतिपूर्ति 2 करोड़ 66 लाख 94 हजार 700 रुपए स्वीकृत किया गया। यह राशि किसानों के कर्ज के साथ (लोन एकाउंट) में समायोजन किया जाना था। ऐसा नहीं कर अधिकारियों ने नियम विरूद्ध सेविंग खाते में डाल दिया। इस तरह किसानों को राशि मिल गई लेकिन वे बैंक के लोन एकाउंट में कर्जदार बने रहे। इससे उनकी कर्जमाफी का मामला उलझ गया।
सरकार को झेलनी पड़ी किरकिरी
सरकार ने अल्पकालीन कृषि ऋण योजना के तहत 30 नवंबर 2018 की स्थिति में कर्ज की माफी की घोषणा की। इसके तहत किस्तों में राशि भी जारी कर दी गई, लेकिन समायोजन गलत खाते में कर दिए जाने के कारण किसानों के खाते में लोन दिखता रहा। किसानों को राशि तो मिल गई, लेकिन विरोधियों ने इसे मुद्दा बनाया और सरकार को जमकर किरकिरी झेलनी पड़ी।
मौजूदा सीईओ को नोटिस
मामले के खुलासे के बाद पंजीयक सहकारी संस्थाएं धनंजय देवांगन ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मौजूदा सीइओ संतोष निवसरकर को स्पष्टीकरण नोटिस जारी किया था। इन्हें 18 जून तक जवाब प्रस्तुत करने कहा गया है। खास बात यह है कि तब निवसरकर सीइओ का कामकाज नहीं देख रहे थे।
इसलिए वसूली की अनुशंसा
ऋण माफी की राशि बचत खाते में समायोजन कर दिए जाने से उप पंजीयक सहकारी समितियों के द्वारा मूल राशि 2 करोड़ 66 लाख 94 हजार को ऋण माफी में शामिल नहीं किया। इससे बैंक को करीब 19 लाख 82 हजार 399 रुपए ब्याज हानि हुई है। उप पंजीयक ने यह राशि बैंक को जिम्मेदारी ठहराते हुए वहन करने कहा है। इस पर बैंक के संचालक मंडल ने जोशी को जिम्मेदार बताते हुए वसूली की अनुशंसा की है।