क्वालिटी पर पहले ही विवाद
गौठान के बाउंड्रीवाल की क्वालिटी को लेकर निर्माण की शुरूआत में ही विवाद हो गया था। विधायक अरुण वोरा ने गौठान का आकस्मिक निरीक्षण कर गड़बड़ी का खुलासा किया था। उन्होंने बेहद कमजोर व पतली दीवार, केवल 6 इंच की नींव और दीवार से लगाकर कोटना बना देने पर आपत्ति दर्ज कराई थी।
चहेते के लिए टेंडर में गड़बड़ी
गौठान निर्माण के टेंडर में भी गड़बड़ी का खुलासा हो चुका है। निगम प्रशासन ने शेड, फिलिंग और लिंक फेंसिंग के काम के लिए 24 जुलाई को 10.14 लाख का टेंडर बुलाया था। टेंडर की अंतिम तिथि 8 अगस्त रखी गई थी, लेकिन टेंडर खुलने से पहले ही पिछले दरवाजे से काम शुरू कर दिया गया था।
नहीं चारा-पानी का प्रबंध
नगर निगम द्वारा गौठान एक अगस्त को हरेली के दिन शुरू किया जाना था। इससे पहले मवेशियों के चारा के लिए 4 एकड़ भूमि में नेपियर घास और मक्का उगाया जाना था। बायो गैस प्लांट भी लगाया जाना था, लेकिन चारा तो दूर 3 माह में निगम के अफसर मवेशियों के लिए पानी का भी प्रबंध नहीं कर पाए।
सड़कों पर 4000 मवेशी
निगम के अफसरों के मुताबिक शहर में 4 हजार से ज्यादा आवारा मवेशी है। इनमें से अधिकतर 24 घंटे सड़कों पर घूमते रहते हैं। जीई रोड के अलावा इंदिरा मार्केट, पटरीपार सिकोला सब्जी मार्केट व धमधा रोड, पुलगांव के आसपास मवेशियों का जमावड़ा रहता है। गौठान अथवा कांजी हाउस नहीं होने के कारण निगम ने मवेशियों की धरपकड़ भी बंद कर दी है।
खोज नहीं पाए जमीन
गोकुल नगर के अलावा शहर के बघेरा, उरला व बोरसी में भी गौठान बनाने का प्रपोजल तैयार किया गया था। यहां भी 20 से 25 लाख खर्च कर मॉडल गौठान बनाया जाना है। यहां गौठान बनने से सभी आवारा मवेशियों को ठिकाना मिल जाता, लेकिन निगम के अफसर इनके के लिए जगह तक नहीं खोज पाए हैंं।
फंड को लेकर दिक्कत
नगर निगम के प्रभारी अधिकारी जितेंद्र समैया का कहना है कि गौठान का अभी पूरा काम नहीं हो पाया है। फंड को लेकर दिक्कत है। इस संबंध में प्रपोजल बनाकर भेजा गया है। प्रपोजल की क्या स्थिति है, फंड कब मिलेगा और गौठान का निर्माण कब तक हो पाएगा यह अभी बता पाना संभव नहीं है।