scriptशिवनाथ में धड़ल्ले से रेत का खनन, परमिशन इंडस्ट्रियल का लिया इधर खुले बाजार में बेचकर कमा रहे मुनाफा | Sand mining in Shivnath river by violating rules in Rajnandgaon | Patrika News
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शिवनाथ में धड़ल्ले से रेत का खनन, परमिशन इंडस्ट्रियल का लिया इधर खुले बाजार में बेचकर कमा रहे मुनाफा

पनेका बांकल में शिवनाथ नदी में संचालित रेत खदान में नया पेंच सामने आया है। इस खदान को इंडस्ट्रियल एरिया में ही रेत सप्लाई की अनुमति है, लेकिन यहां से निकलने वाली रेत को खुले बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।

दुर्गJan 19, 2022 / 04:14 pm

Dakshi Sahu

शिवनाथ में धड़ल्ले से रेत का खनन, परमिशन इंडस्ट्रियल का लिया इधर खुले बाजार में बेचकर कमा रहे मुनाफा

शिवनाथ में धड़ल्ले से रेत का खनन, परमिशन इंडस्ट्रियल का लिया इधर खुले बाजार में बेचकर कमा रहे मुनाफा

राजनांदगांव. राजनांदगांव शहर से लगे पनेका बांकल में शिवनाथ नदी में संचालित रेत खदान में नया पेंच सामने आया है। इस खदान को इंडस्ट्रियल एरिया में ही रेत सप्लाई की अनुमति है, लेकिन यहां से निकलने वाली रेत को खुले बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। शासन-प्रशासन शिकायत के बाद भी जांच और कार्रवाई में टाल-मटोल कर रहा है। ‘पत्रिकाÓ में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन ने टीम तो गठित कर दी, लेकिन जिन्हें कोरोना संक्रमण है, उन दो आरआई को शामिल कर प्रशासन से साफ कर दिया है, कि वे अभी कार्रवाई के मूड में नहीं हैं। हालांकि ग्रामीणों के विरोध के बाद सोमवार से खदान से रेत निकासी बंद कर दी गई है, लेकिन मशीनें अब भी नदी में पड़ी हुईं हैं। इस पूरे मामले में शिवसेना ने मंगलवार को संबंधित विभागों को ज्ञापन सौंपकर सूक्ष्मता से जांच की मांग रखी है।
सीमांकन को लेकर चल रहा था विवाद
मिली जानकारी अनुसार रनर मोल्डिंग सेंड के तहत आबंटित इस रेत खदान को लेकर ग्राम भंवरमरा और बांकल के बीच सीमांकन को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों ही पंचायतों ने लीज क्षेत्र से अधिक रेत निकासी का आरोप लगाते हुए प्रशासन से सीमांकन की मांग रखी है। सोमवार को बांकल के लोगों ने बैठक कर रेत निकासी कर रहे ट्रकों को रोककर निकासी पर रोक लगा दी है। इधर मामले में जांच व सीमांकन के लिए प्रशासन राजस्व व खनिज विभाग की एक संयुक्त टीम बनाने की बात कह रही है, जो गांव पहुंचकर ग्रामीणों की मौजूदगी में जांच व सीमांकन करेगी।
नियमों का किया गया उल्लंघन
रनर मोल्डिंग सेंड के तहत आबंटित इस खदान के संचालन में पर्यावरण, राजस्व, खनिज विभाग और जल संसाधन विभाग के नियमों और निर्धारित मापदंडों का खुलकर उल्लंघन किया जा रहा है। जानकारों की माने तो इस तरह के खदानों से रेत निकासी पर अधिक रायल्टी लगती है, लेकिन रेत निकासी
करने वाला ठेकेदार द्वारा किसी प्रकार की कोई रायल्टी पर्ची का उपयोग नहीं हो रहा है। जबकि ग्रामीणों की माने तो यहां से रोजाना 60-70 ट्रिप हाइवा से रेत निकाली जा रही थी। ऐसे में साफ है कि शासन को लाखों रुपए की राजस्व की क्षति हो रही है और स्थानीय प्रशासन खामोश बैठा है।
खनिज विभाग के अफसरों की माने तो उक्त खदान के लिए शासन की ओर 54 सालों का लीज दिया हुआ है, लेकिन जब लीज इंडस्ट्रियल क्षेत्र में ही रेत सप्लाई की मिली हुई है, तो खुले बाजार में रेत क्यों बेची जा रही है। नदी में रैंप बनाकर बहाव रोकने के मामले को पर्यावरण का बताया जा रहा, तो पर्यावरण विभाग को सूचना देने की जिम्मेदारी किसकी है, शिकायत के बाद भी खनिज विभाग व जिला प्रशासन ने गंभीरता क्यों नहीं दिखाई। इस मामले में शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा। ऐसे में इसके लिए राजस्व विभाग की भी जिम्मेदारी बनती है।
नदी में रैंप बनाकर बहाव रोककर बीच नदी संपवेल लगाकर रेत एकत्रित करने के चक्कर में नदी की प्रकृति और जलीय जंतुओं के साथ पानी को भी दूषित किया जा रहा है। ऐसे में जल संसाधन विभाग की भी जिम्मेदारी बनती है, लेकिन लगातार शिकायत मिलने के बाद भी प्रशासन ने कभी जांच की जहमत नहीं उठाई, जब बांकल के आक्रोशित ग्रामीणों ने रेत निकासी पर रोक लगाई, तब मामले को सीमांकन का बताकर नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों को प्रशासन संरक्षण देने में जुट गया है। राजेश मालेव, खनिज अधिकारी ने बताया कि खदान नियमत: संचालित हो रही। दो पंचायतों में सीमांकन को लेकर विवाद है। इसकी जांच के लिए राजस्व व खनिज विभाग की संयुक्त टीम बनाई गई है, जल्द ही जांच के बाद विवाद सुलझा लिया जाएगा। फिलहाल खदान बंद करा दी है। अरुण वर्मा, एसडीएम राजनांदगांव ने बताया कि तहसीलदार ने टीम गठित की है। लेकिन टीम में सम्मलित दो आरआई संक्रमित आ गए हैं, इस वजह से टीम जा नहीं पाई है। दो दिनों तक चुनाव का शेड्यूल है। इसके बाद निश्चित रूप से जांच और कार्रवाई होगी।
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