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दुर्ग

गरीब बेटियों को बिना गणवेश बांटे एक लाख डकार गई अधीक्षिका, फर्जी बिल बनाकर ऐसे किया घोटाला

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में संचालित संजीवनी बालिका छात्रावास में गणेवश घोटाला जांच में प्रमाणित होने के बाद भी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।

दुर्गAug 08, 2018 / 12:01 pm

Dakshi Sahu

PATRIKA

गरीब बेटियों को बिना गणवेश बांटे, एक लाख डकार गई अधीक्षिका, फर्जी बिल बनाकर ऐसे किया घोटाला

दुर्ग. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में संचालित संजीवनी बालिका छात्रावास में गणेवश घोटाला जांच में प्रमाणित होने के बाद भी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। जांच के बाद विभाग के अधिकारियों ने फाइल को ही दबा दिया। गबन करने वाली महिला अधीक्षक को मूल शाला लौटाकर पूरे प्रकरण को रफा दफा करने का प्रयास किया गया।
एक लाख रुपए से अधिक का गबन
गबन की गई राशि 1 लाख रुपए से भी अधिक है। गणवेश घोटाले की जानकारी विभागीय अधिकारियों के कानों तक पहुंचने के बाद जांच भी गुपचुप तरीके से कराया गया। अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट में छात्रावास की तत्कालीन अधीक्षक दिप्ती खोब्रागढ़े को दोषी ठहराते हुए उससे रिकवरी करने और आर्थिक अनियमितता के मामले को पुलिस को सौंपने की सिफारिश की गई है।
रिकवरी कराई जाएगी
खास बात यह है कि दो साल पुराने इस मामले की फाइल को परियोजना कार्यालय के आलमारी में बंद कर रखा गया। अब अफसर सफाई दे रहे हैं कि रिकवरी कराई जाएगी। छात्रावास का निरीक्षण करने वाले अधिकारियों ने इस गड़बड़ी के पकड़ा। वहां की छात्राओं ने निरीक्षण करने आए अधिकारियों के पूछने पर बता दिया कि उन्हें स्कूल व छात्रावास में पहनने के लिए दिए जाने वाला गणवेश नहीं मिला है।
घुमंतू बच्चों का छात्रावास
अधिकारियों के सवाल पर परियोजना कार्यालय के कर्मचारियों का कहना था कि राशि दिया जा चुका है। इसी बीच खुलासा हुआ कि अधीक्षक ने गणवेश बांटे ही नहीं और राशि को खर्च कर फर्जी बिल प्रस्तुत किया है। घुमंतू और ऐसे माता पिता जो गरीब हैं और बच्चों को पढ़ाने की इच्छा रखते हैं ऐसे लोगों के लिए शासन मुख्यालय स्तर पर छात्रावास संचालित कर रहा है।
यहां रहने वाले बच्चों को स्कूल के अलावा छात्रावास में पहनने के लिए गणवेश व भोजन नि:शुल्क दिया जाता है। कापी किताब की सुविधा नि:शुल्क है। खास बात यह है कि संजीवनी छात्रावास की स्थापना माओवादी प्रभावित वंनाचल के बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोडऩे की गई थी। बाद में इसे घुमंतू और अतिगरीब परिवार के बच्चों को रखने का निर्णय लिया गया।
फर्जी बिल पेश कर निकाल ली राशि
दो साल पहले छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने वाले गरीब बच्चों के लिए गणवेश खरीदने शासन ने एक लाख रुपए आवंटित किया था। इस राशि को तत्कालीन महिला अधीक्षक दिप्ती खोब्रागढ़े (वर्ग-३) ने अधिकारियों से साठगांठ कर आहरण कर लिया।
खानापूर्ति करने विभाग में फर्जी बिल प्रस्तुत किया है। जिला मिशन संचालक जेआर साहू ने बताया कि गणवेश घोटाला हुआ है। रिकवरी का आदेश भी हुआ है, लेकिन अब तक रिकवरी नहीं हुई है। जिस पर गबन का आरोप है वह आलबरस में पदस्थ है। फाइल को प्रस्तुत करने कहा गया है।

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